इन नकली उस्ताद जी से पूछा जाये कि ये कौन बडा साहित्य लिखे बैठे हैं जो लोगों को नंबर बांटते फ़िर रहे हैं? अगर इतने ही बडे गुणी मास्टर हैं तो सामने आकर मूल्यांकन करें।
स्वयं इनके ब्लाग पर कैसा साहित्य लिखा है? यही इनके गुणी होने की पहचान है। क्या अब यही लोग छदम आवरण ओढे हुये लोग हिंदी की सेवा करेंगे?
जिस पहाड़ के नीचे इस ऊंट को आना था वह कौन सा दूध का धुला है ?
जवाब देंहटाएंjo jeete unhen medal ki kya jaroorat ...
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएं?????????
जवाब देंहटाएंपहाड़ की ऐसी की तैसी । ऐसे कितने पहाड़ आए और चले गए ।
जवाब देंहटाएंबात करते हैं ।
ऊँट माने तब न
जवाब देंहटाएंIs cartoon me to waqayi kaduahat bharee hai...kalmadi ki jeb to bhari....medal usne kaunse apnee jeb se dene the/ya diye?
जवाब देंहटाएंनोट कूट लिये। अब कुटने की बारी है।
जवाब देंहटाएंआपकी सक्रियता और नियमितता काबिलेतारीफ है!
जवाब देंहटाएंये पहाड भी ओट लेने के काम ही आएगा :)
जवाब देंहटाएंबच्चा तो ऐसे कह रहा है कि जैसे बंदे नें खिलाडियों के लिए पैसे कूटे हों :)
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंहा हा!! बनता तो है..
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! वैसे तो सोना भी हीरे के भाव ही मिल रहा है ।
जवाब देंहटाएंभगवान मालिक है।
जवाब देंहटाएंचिंता न कीजिए। किसी ने नोट नहीं कूटे। जांच में आखिरकार यही तो निकलकर आना है!
जवाब देंहटाएंअजी यह तो बलि का बकरा बन गया हे , जिन्होने ने लुटा हे वो सब बच जायेगे, यह फ़ंसेगा, या फ़िर अफ़सर फ़ंसे गे, कमाने वाले मजा लेते रहेगे,
जवाब देंहटाएंपहाड़ के ऊपर भी छत है... अदालत से सजा मिलने पर कहते हैं कि जनता की अदालत शेष है>.
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने...हा.हहा..हा...
जवाब देंहटाएं______________________
'पाखी की दुनिया' में पाखी की इक और ड्राइंग...
godiyaal jee sahee kah rahe hain.
जवाब देंहटाएंबहुत नाइंसाफ़ी है.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
इन नकली उस्ताद जी से पूछा जाये कि ये कौन बडा साहित्य लिखे बैठे हैं जो लोगों को नंबर बांटते फ़िर रहे हैं? अगर इतने ही बडे गुणी मास्टर हैं तो सामने आकर मूल्यांकन करें।
जवाब देंहटाएंस्वयं इनके ब्लाग पर कैसा साहित्य लिखा है? यही इनके गुणी होने की पहचान है। क्या अब यही लोग छदम आवरण ओढे हुये लोग हिंदी की सेवा करेंगे?