शनिवार, 4 सितंबर 2010

सांप्रदायिक कार्टून:-(ब्लागर अपने विवेक से काम लें..)

27 टिप्‍पणियां:

  1. बदले में मूर्गा एक दिन ब्रह्मचारी रहेगा :)

    जय हनुमान ज्ञान गुण सागर...जय...

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  2. हा हा हा ! रोज सुबह मैं इनकी अंतिम यात्रा देखता हूँ ।

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  3. भाई.............काजल जी !

    आज मेरी तरफ से अपने पावन छू लेना और हाथ चूम लेना

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  4. भाई अलबेला जी आपके शब्दों में तो भाव विव्ह्लता है, उसका मुरीद हो गया हूँ मैं. सादर.

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  5. संजय जी की टिप्पणी को मेरी भी माना जाय।

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  6. मन ही मन मुर्गा अब सोचने लगा है कि हे हनुमान जी महाराज "आप सातों दिन ही मंगलवार" कर दिजिये फ़िर मैं सवा पांच आने का प्रसाद चढाऊंगा.:)

    रामराम.

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  7. हे भगवान, तु ताऊ की फ़रियाद सुन ले।

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  9. एक सांखिकी प्रस्तुत हो सकती है ..कितने हनुमान भक्त ,कितने उपवास ,कितने मुर्गों को एक दिवसीय जीवन दान ...
    और जो भक्त नहीं हैं उनका का क्या हवाल ?

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  10. वैसे देखा जाये तो मामूली सी बात है, मगर गौर करें तो कितनी बडी बात है न ?

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  11. जय हनुमान ज्ञानगुनसागर ....

    शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनांए
    लिंक पे लिंक बनाते चलो ब्‍लॉग की रेंकिंग बढ़ाते चलो

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  12. यूँ ही अगर रोज अगर आप कार्टून लगते रहे ,एक दिन हम शाकाहारी हो जायेंगे :)

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  13. एक कविता याद आ गई ..
    .
    मैंने मुर्गे से एक दिन पूछा
    रे मुर्गे ! तुझे बर्ड फ्लू से डर नहीं लगता
    वह बोला
    बर्ड फ्लू से कैसा डरना
    हमें तो वैसे भी है मरना
    और ऐसे भी है मरना

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  14. जब बर्ड फ्लू फैला और लोगों ने मुर्गा खाने से तौबा करना चाही तो हमने भी दो लाइन लिख डालीं थीं..........
    मुर्गा बोला, मुर्गियो कौन खुशी की बात
    जिंदा तो छोड़े नहीं, ये आदम की जात

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  15. वाह!!!!! म से मुर्गे के लिए मंगलवार पर इ से इन्सान के लिए कौन सा वार ???क्या इतवार ????

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