CARTOON, SATIRE, HUMOR, POLITICS, COMIC, LITERATURE, CARICATURE, LAMPOON, SKIT, RIDICULE, MOCKERY, SARCASTIC
हा हा हा ! इसीलिए हमने आज तक किताब लिखने की जुर्रत ही नहीं की ।बढ़िया व्यंग ।
writer और beggar; royalty और poverty; ये शब्द महज तुकबंदी नहीं है, पीछे बहुत बड़ा तजुर्बा छुपा हुआ है!
कटु सत्य ...यहाँ सिर्फ नाम बिकता है
चलो अच्छा है पता चल गया, नहीं तो हम भी एक किताब लिखने की सोच रहे थे ..... बढ़िया है .....http://thodamuskurakardekho.blogspot.com
ओह तो यह बात है!--सोचना पड़ेगा!
आप ने हमे बचा लिया जी. धन्यवाद :)
इसीलिए हम लेखक नहीं बनें ...और ले और ले ..हा हा हा
लिखने से मत घबराएंसिर्फ छपवाने ही मत जाएंमौका अच्छा है आजकललेखक नहीं ब्लॉगर ही बन जाएंऔर खूब सारी टिप्पणियां पाएंइसे ही रायल्टी मान मुस्कराएं।
हा हा हा
are bach gaye ham to
कटु या सत्य।
जो घर फूंके आपना चले ...
अरे भाई हमें नहीं छपवाना ...ब्लॉग ही अच्छा !!
कटुसत्य
सच है ....
जलावन के काम में लो और खाना पका कर खाओ.
बढ़िया व्यंग,आप भी इस बहस का हिस्सा बनें औरकृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-अकेला या अकेली
haai....ab kya hoga? hamne to chhapne bhi de dee...
ओह! नो!!
इस अक्लमंद को समझाईये कि ताऊ सदसाहित्य का लेखन शुरु करे.:) जन्माष्टमी की घणी रामराम.
अब सदबुद्धि नहीं कुबुद्धि और तिकरम से किताब लिखे और बेचे जाते हैं ...दुखद स्थिति है... विद्या और बुद्धि की कद्र ख़त्म होती जा रही है ...
ओह! ये हाल है :(आपको सपरिवार श्री कृष्णा जन्माष्टमी की शुभकामना ..!!बड़ा नटखट है रे .........रानीविशाल जय श्री कृष्णा
आपने तो हिन्दी प्रकाशन की कलई ही खोल दी!
समीरलाल ने ओह नो क्यों लिखा? :)
हा हा हा ! इसीलिए हमने आज तक किताब लिखने की जुर्रत ही नहीं की ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग ।
writer और beggar; royalty और poverty; ये शब्द महज तुकबंदी नहीं है, पीछे बहुत बड़ा तजुर्बा छुपा हुआ है!
जवाब देंहटाएंकटु सत्य ...यहाँ सिर्फ नाम बिकता है
जवाब देंहटाएंचलो अच्छा है पता चल गया, नहीं तो हम भी एक किताब लिखने की सोच रहे थे ..... बढ़िया है .....
जवाब देंहटाएंhttp://thodamuskurakardekho.blogspot.com
ओह तो यह बात है!
जवाब देंहटाएं--
सोचना पड़ेगा!
आप ने हमे बचा लिया जी. धन्यवाद :)
जवाब देंहटाएंइसीलिए हम लेखक नहीं बनें ...और ले और ले ..हा हा हा
जवाब देंहटाएंलिखने से मत घबराएं
जवाब देंहटाएंसिर्फ छपवाने ही मत जाएं
मौका अच्छा है आजकल
लेखक नहीं ब्लॉगर ही बन जाएं
और खूब सारी टिप्पणियां पाएं
इसे ही रायल्टी मान मुस्कराएं।
हा हा हा
जवाब देंहटाएंare bach gaye ham to
जवाब देंहटाएंकटु या सत्य।
जवाब देंहटाएंजो घर फूंके आपना चले ...
जवाब देंहटाएंअरे भाई हमें नहीं छपवाना ...ब्लॉग ही अच्छा !!
जवाब देंहटाएंकटुसत्य
जवाब देंहटाएंसच है ....
जवाब देंहटाएंजलावन के काम में लो और खाना पका कर खाओ.
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग,
जवाब देंहटाएंआप भी इस बहस का हिस्सा बनें और
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली
haai....ab kya hoga? hamne to chhapne bhi de dee...
जवाब देंहटाएंओह! नो!!
जवाब देंहटाएंइस अक्लमंद को समझाईये कि ताऊ सदसाहित्य का लेखन शुरु करे.:)
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की घणी रामराम.
अब सदबुद्धि नहीं कुबुद्धि और तिकरम से किताब लिखे और बेचे जाते हैं ...दुखद स्थिति है... विद्या और बुद्धि की कद्र ख़त्म होती जा रही है ...
जवाब देंहटाएंओह! ये हाल है :(
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार श्री कृष्णा जन्माष्टमी की शुभकामना ..!!
बड़ा नटखट है रे .........रानीविशाल
जय श्री कृष्णा
आपने तो हिन्दी प्रकाशन की कलई ही खोल दी!
जवाब देंहटाएंसमीरलाल ने ओह नो क्यों लिखा? :)
जवाब देंहटाएं