घंटों टीवी से चिपके रहते , धड़कने धौंकनी हो जाया करतीं , कि नतीज़ा क्या होगा ? फिक्सिंग की सुन सुन के अब क्रिकेट देखना छोड़ दिया है ! उनका शुक्रिया कि हार्ट अटैक का ख़तरा ना रहा :)
वैसे आप गौर करें तो एक गेंद पर जानबूझ कर आउट होना उतना ही अनिश्चित है, जितना की उस पर छक्के की सफल कोशिश करना. तो भाई ईमान से देखा जाएं तो काम तो फिर भी मेहनत का ही है!
बढ़िया कटाक्ष
जवाब देंहटाएंसच ही है।
जवाब देंहटाएंचल तो काफी पहले से रहा है। मिट्टी पलीद हुई है अब जाकर।
जवाब देंहटाएंइनके लिये तो बेइज्जती की बात तब है कि अगर कोई एकाध खिलाड़ी फ़िक्सिंग में शामिल न हो।
जवाब देंहटाएंघंटों टीवी से चिपके रहते , धड़कने धौंकनी हो जाया करतीं , कि नतीज़ा क्या होगा ? फिक्सिंग की सुन सुन के अब क्रिकेट देखना छोड़ दिया है ! उनका शुक्रिया कि हार्ट अटैक का ख़तरा ना रहा :)
जवाब देंहटाएंऔर देखिए साहब,जब वूल्मर ने यही बात उठाने की कोशिश की थी तो क्या हश्र हुआ बेचारे का!
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंयह तो अन्याय है. मैं पाक खिलाड़ियों के साथ हूँ.
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंइस तर्क का तो जवाब नही!
जवाब देंहटाएंsundar,
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारें :-
अकेला कलम
Satya`s Blog
मजेदार है....
जवाब देंहटाएं____________________
'पाखी की दुनिया' में अब सी-प्लेन में घूमने की तैयारी...
भई वाह क्या बात है .......
जवाब देंहटाएंकुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com
वैसे आप गौर करें तो एक गेंद पर जानबूझ कर आउट होना उतना ही अनिश्चित है, जितना की उस पर छक्के की सफल कोशिश करना. तो भाई ईमान से देखा जाएं तो काम तो फिर भी मेहनत का ही है!
जवाब देंहटाएंबढ़िया है...और मुझे लगता है कि बाढ़ से पाकिस्तान के जो हिस्से बचे थे, इस मामले के बाद अब वो शर्म से डूब गए होंगे।
जवाब देंहटाएंसही मारा है ।
जवाब देंहटाएंअरे हमारे भी कोन से दुध के धुले होंगे..... मारो गोली इस क्रिकेट को.......मुंह काला करवाने के लिये पेसा लेते थे, ओर बाकी जनता इन की दिवानी थी:)
जवाब देंहटाएंहा हा!! सही तो कह रहा है बेचारा.
जवाब देंहटाएंसही ही कह रहा है ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया
भाई लोग तो पाकिस्तानी होने का हक अदा कर रहे हैं....
जवाब देंहटाएंमेहनत का हक़
जवाब देंहटाएं..बढ़िया है.
जवाब देंहटाएं________________
'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
ख़ूब गहरी चोट !
जवाब देंहटाएंHa,ha,ha! Wah!
जवाब देंहटाएंकुछ चिल्लर ही थमा दी होती।
जवाब देंहटाएंजायज बात है!
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