सोमवार, 5 जुलाई 2010

कार्टून:- दोस्त हैं कि मानते ही नहीं...


18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत मस्त! ;-) बहुत खूब!


    बाहर मानसून का मौसम है

    बाहर मानसून का मौसम है,
    लेकिन हरिभूमि पर
    हमारा राजनैतिक मानसून
    बरस रहा है।
    आज का दिन वैसे भी खास है,
    बंद का दिन है और हर नेता
    इसी मानसून के लिए
    तरस रहा है।


    मानसून का मूंड है इसलिए
    इसकी बरसात हमने
    अपने ब्लॉग
    प्रेम रस
    पर भी कर दी है।

    राजनैतिक गर्मी का
    मज़ा लेना,
    इसे पढ़ कर
    यह मत कहना
    कि आज सर्दी है!

    मेरा व्यंग्य: बहार राजनैतिक मानसून की

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  2. हा हा हा ! बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम ---।

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  3. आपके सर की क्या हालत है यह देखने की बड़ी ही तमन्ना हुई

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  4. मस्त,बिंदास, वाह वाह.....
    मैं पहली बार आया हू , अब मेरा नियमित आना होगा.

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  5. गुमड़? भैये हाथ-वात भी काट दिये जाते है! सम्भल कर...

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  6. काजल भाई, हमारी ओर से तो आप निश्चिंत हो सकते हैं :)

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  7. कार्टूनिस्ट ही नहीं हर खरी बात कहने वाले के साथ यही होने का ख़तरा बना रहता है.

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  8. गोया धरती भी अपनों से मार खाती हुई , गहरी घाटियां...पर्वत उभरते उसके सर माथे पर लेकिन अविरत निरंतर प्रवाहमयी और फिर उसने भी चंद्रमा को ऐसी ही सीख दी होगी ! यकीनन...सृष्टि और सृजन में पीड़ा तो है

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  9. अजी पंगा (हिन्दी ब्लागरों की कमाई का रास्ता खुल गया) लेने से पहले सोचना था.... बहुत सुंदर जी:)

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