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सटीक व सामयिक
जंगल में चल फेंक दे, उठें जानवर नाच |यह रसीद अब फाड़ दे, पूरे टुकड़े पाँच |पूरे टुकड़े पाँच, खोपड़ी बब्बर खाए |कुक्कुर नोचे टांग, सुवर खट्टा कह जाए |नोचे कमर सियार, मनाये लोमड़ मंगल |कर गरीब का भोज, बिना पैसे के जंगल | |
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
ये सटीक इलाज ढूंढा है इसने, इसी काबिल हैं ये.:)रामराम.
itana bolane ki jarurat nahi hai dekhate ghoda dabaa dena tha
वह वाह काजल कुमार जी एक १० जनपथ ढाबा खुलवा दो न।
बच के रहना काजल भाई
इब आया पहाड़ ऊंट के कने ...
सब पर शक करने लगे लड़के।
:)बन्दूक के साथ हरी लुंगी :)
सटीक व सामयिक
जवाब देंहटाएंजंगल में चल फेंक दे, उठें जानवर नाच |
जवाब देंहटाएंयह रसीद अब फाड़ दे, पूरे टुकड़े पाँच |
पूरे टुकड़े पाँच, खोपड़ी बब्बर खाए |
कुक्कुर नोचे टांग, सुवर खट्टा कह जाए |
नोचे कमर सियार, मनाये लोमड़ मंगल |
कर गरीब का भोज, बिना पैसे के जंगल | |
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
जवाब देंहटाएंये सटीक इलाज ढूंढा है इसने, इसी काबिल हैं ये.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
itana bolane ki jarurat nahi hai dekhate ghoda dabaa dena tha
जवाब देंहटाएंवह वाह काजल कुमार जी एक १० जनपथ ढाबा खुलवा दो न।
जवाब देंहटाएंबच के रहना काजल भाई
जवाब देंहटाएंइब आया पहाड़ ऊंट के कने ...
जवाब देंहटाएंसब पर शक करने लगे लड़के।
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंबन्दूक के साथ हरी लुंगी :)