गुरुवार, 11 जुलाई 2013

कार्टून :- दि‍ल्‍ली मेट्रो वालों को तो धेले की अक्‍ल नहीं


15 टिप्‍पणियां:

  1. मानहानी का केस और साइबर अपराध का केस तो सच में बनता है , और पार्न साईट पर वीडियो लोड करना तो उसे और गंभीर बनाता है ।

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  2. आप के ब्लॉग पर फीडबर्नर के दो अलग-अलग विजेट हैं ,दोनों अलग संख्या दे रहे हैं ऐसा कैसे?

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    1. अल्‍पना जी, अधि‍क संख्‍या वाली फ़ीड ऑरीजनल है लेकि‍न एक बार मैंने इससे कुछ गड़बड़ कर दी थी तो इसने अपडेट होना बंद कर दि‍या था. इसलि‍ए दूसरी फीड बना दी (जो कम नंबर दि‍खा रही है). कल मैंने फ़ीडबर्नर एक ज़माने बाद चैक कि‍या तो पाया कि दोनों ही फ़ीड अब अपडेट हो रही हैं. इसीलि‍ए इस ब्‍लॉग की अब दो फ़ीड हैं :-)

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  3. yaar majak to mat udao unka.
    haalanki mujhe bhi in ladke ladkiyo par hi jyada gussa aaya tha.itne nalaayak hain inhe jagah ka bhi hosh nahi ki kahan kya kar rahe hain.

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  4. इन लौंडे छोरियों को दो दो लप्पड का मुआवजा दिलवा दीजिये.

    रामराम.

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    1. :-) पता नहीं हमारे संस्‍कार पुराने पड़ गए हैं या इनके संस्‍कार सही हैं

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  5. हाँ .लप्पड़ बिलकुल ठीक हैं उनके लिए!

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  6. सही है, कहीं कोई समाचार निशुल्क मिलता है भला।

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