कभी कभी सोचता हूँ... ये सही बात है कि शेक्सपियर के पात्रों की त्रासदी बड़े लोगों की त्रासदी होती थी इसीलिए, पढ़ा-लिखा तबका उन्हें आज भी याद करता है....
मुंबई के CST, ताज, ओबेरॉय, नरीमन हाउस और टैक्सीओं में कई लोगों ने दुर्भाग्यपूर्ण घटना में जान खोई..... पर क्यों हमारी नज़र केवल ताजों के दोबारा शुरू होने पर ही जा टिकती है ?.... शेक्सपियर फिर याद आता है.
यह भारत माता का मुकट है,
जवाब देंहटाएंऔर उसका नाम ताज है।
("हे प्रभु यह तेरापन्थ"
"परिवार का निर्माण करना, अब हम सब के हाथ मैं, "हे प्रभु यह तेरापन्थ" अब आपके साथ मैं")