बुधवार, 5 नवंबर 2008

मेरी मुहिम


मेरी मुहिम साफ़ है
मैंने ज़मीन बाँट
कर देश बनाए,
पानी बांटा सागर का,
फिर बांटा आकाश...

कोई मुगा़लते में न रहे
मेरी मुहिम साफ़ है.

6 टिप्‍पणियां:

  1. very good distribution
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है ।
    लिखते रहिए, लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।

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  2. ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. दूसरों को राह दिखाते रहिये. आगे बढ़ते रहिये, अपने साथ-साथ औरों को भी आगे बढाते रहिये. शुभकामनाएं.
    --
    साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  3. कल 07/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

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