शनिवार, 8 दिसंबर 2012

कार्टून :- गुड़ हुए गुलफ़ाम हुए, फि‍र भी न तमाम हुए


15 टिप्‍पणियां:

  1. सही है, सोचना ही है तो प्रधानमंत्री बनने की क्यों न सोचें? :)

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  2. वाह...
    कल के चर्चा मंच पर इस कार्टून को भी लगा दिया है!

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  3. सही है...रीढ़ की हड्डी झुकी और कब्र पर पांव लटकें तो समझो कुर्सी पक्की :-)
    अनु

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  4. :)
    राष्ट्र नहीं महाराष्ट्र चाहिए ...

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  5. आउल का ...
    इससे बेटर के होवे है ...
    ऐसी कुर्सी पर कौन न मर जाए ऐ खुदा
    जिसकी लकड़ी हिन्दुस्तानी हो और लेदर ईटालियन :):)

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  6. :) कठपुतली बनाने में ज़ोर नहीं पड़ता

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  7. शायद प्रधान मंत्री के मेडिकल बिल की कोई सीमा तय नहीं है :)

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  8. अजी प्रधान मंत्री क्या इस देश में तो ऐसे राष्ट्रपति भी हैं जिन्हें लिफ्ट से उठाकर विमान में लादना पड़ता था .अच्छा है पहले ही बीमार होलें वरना .........छुटभैयों की तरह बाद में तिहाड़ जाना पड़ेगा .सटीक प्रहार रिमोटिया लोकतंत्र पर .

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