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....दिमाग में तो पहले से ही लगा था,अब यहाँ भी !
चलो, इस मंदी के दौर में किसी के तो दिन फिरे !
काश चाबी बनाने वालों के दिन फिरते ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (30-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (बिटिया देश को जगाकर सो गई) पर भी की गई है!सूचनार्थ!
:)
इस ताले की चाबी जनता ही खोजेगी.रामराम
भीतर से भी बंद है न ?
शानदार अभिव्यक्ति,जारी रहिये,बधाई।
बंकर और बैंकर..
और चाबी खो जाए ......अन्दर हो काग भगोड़ा और उसकी मम्मी चाबी जनता रखे अपने पास .
kyaa baat hai.
बहुत बढिया :)
....दिमाग में तो पहले से ही लगा था,अब यहाँ भी !
जवाब देंहटाएंचलो, इस मंदी के दौर में किसी के तो दिन फिरे !
जवाब देंहटाएंकाश चाबी बनाने वालों के दिन फिरते ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (30-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (बिटिया देश को जगाकर सो गई) पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
:)
जवाब देंहटाएंइस ताले की चाबी जनता ही खोजेगी.
जवाब देंहटाएंरामराम
भीतर से भी बंद है न ?
जवाब देंहटाएंशानदार अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंजारी रहिये,
बधाई।
बंकर और बैंकर..
जवाब देंहटाएंऔर चाबी खो जाए ......अन्दर हो काग भगोड़ा और उसकी मम्मी चाबी जनता रखे अपने पास .
जवाब देंहटाएंkyaa baat hai.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया :)
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