CARTOON, SATIRE, HUMOR, POLITICS, COMIC, LITERATURE, CARICATURE, LAMPOON, SKIT, RIDICULE, MOCKERY, SARCASTIC
...वह फड्डी नहीं चड्ढी गीली होने के कारण रो रिया है :-)
बेहतर प्रस्तुति !!
चुप हो जा बच्चा फद्दी आ जाएगा .
:-)अनु
लगता ये भी मनू का ही है Welcome back to India-a cartoon on FDI
अब तो कई पीढ़ियाँ डरी पैदा होंगी..
:) संतोष त्रिवेदी से सहमत
लो कल्लो बात लोकसभा से राज्य सभा तक का सफर कितना मुख़्तसर निकला सब राम की माया ,मुलायम का साया जो बच्चा कल तक पूतना से डरे था आज उसी का दूध पी रहा है .बोले माधुरी वाणी ,त्रिगुण फांस लिए करी डोले ,बोले माधुरी वाणी ,माया महा ठगनी हम जानी ....
good...इस देश का यारो क्या होगा?
बड़ा रोना बच्चा है :-(
:):)
बहुत खूब काजल भाई ।
लग गये अब तो काम...:)रामराम
ऍफ़ डी आई के मुद्दे पर लोकसभा में जो कुछ भी हुआ ,तथा 'सपा 'और 'बसपा 'ने जो कुछ किया उस पर टिपण्णी करने की तो देश को कोई ज़रुरत नहीं है ,पर जो कुछ इस देश ने महसूस किया है उस पर विचारक कवि डॉ .वागीश मेहता की ये पंक्तियाँ पठनीय हैं :सत्ता जीती संसद हारी ,हारा जनमत सारा है ,चार उचक्के दगाबाज़ दो ,मिलकर खेल बिगाड़ा है .प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!--आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-12-2012) के चर्चा मंच-१०८८ (आइए कुछ बातें करें!) पर भी होगी!सूचनार्थ...!
...वह फड्डी नहीं चड्ढी गीली होने के कारण रो रिया है :-)
जवाब देंहटाएंबेहतर प्रस्तुति !!
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जवाब देंहटाएंचुप हो जा बच्चा फद्दी आ जाएगा .
:-)
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लगता ये भी मनू का ही है
जवाब देंहटाएंWelcome back to India-a cartoon on FDI
अब तो कई पीढ़ियाँ डरी पैदा होंगी..
जवाब देंहटाएं:) संतोष त्रिवेदी से सहमत
जवाब देंहटाएंलो कल्लो बात लोकसभा से राज्य सभा तक का सफर कितना मुख़्तसर निकला सब राम की माया ,मुलायम का साया जो बच्चा कल तक पूतना से डरे था आज उसी का दूध पी रहा है .
जवाब देंहटाएंबोले माधुरी वाणी ,त्रिगुण फांस लिए करी डोले ,बोले माधुरी वाणी ,माया महा ठगनी हम जानी ....
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जवाब देंहटाएंबड़ा रोना बच्चा है :-(
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जवाब देंहटाएंबहुत खूब काजल भाई ।
जवाब देंहटाएंलग गये अब तो काम...:)
जवाब देंहटाएंरामराम
जवाब देंहटाएंऍफ़ डी आई के मुद्दे पर लोकसभा में जो कुछ भी हुआ ,तथा 'सपा 'और 'बसपा 'ने जो कुछ किया उस पर टिपण्णी करने की तो देश को कोई
ज़रुरत नहीं है ,पर जो कुछ इस देश ने महसूस किया है उस
पर विचारक कवि डॉ .वागीश मेहता की ये पंक्तियाँ पठनीय हैं :
सत्ता जीती संसद हारी ,
हारा जनमत सारा है ,
चार उचक्के दगाबाज़ दो ,
मिलकर खेल बिगाड़ा है .
प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-12-2012) के चर्चा मंच-१०८८ (आइए कुछ बातें करें!) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!