तालाबों को ढक रहे, हाथी पिछली बार |कितनी छिछली हरकतें, कर आयोग विचार |कर आयोग विचार, किसानों की यह खेती |मधुमक्खी मकरंद, इन्हीं कमलों से लेती |दिखी कांग्रेस धूर्त, कलेजा कितना काला |पंजा दे कटवाए, साइकिल में भी ताला ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक रविकर-पुंज पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
सच है..
जब तालाब ढके जा सकते हैं तो हाथ के पंजे क्यों नही कटवाये जाने चाहिये?:)रामराम.
तालाबों को ढक रहे, हाथी पिछली बार |
ReplyDeleteकितनी छिछली हरकतें, कर आयोग विचार |
कर आयोग विचार, किसानों की यह खेती |
मधुमक्खी मकरंद, इन्हीं कमलों से लेती |
दिखी कांग्रेस धूर्त, कलेजा कितना काला |
पंजा दे कटवाए, साइकिल में भी ताला ||
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ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteसच है..
ReplyDeleteजब तालाब ढके जा सकते हैं तो हाथ के पंजे क्यों नही कटवाये जाने चाहिये?:)
ReplyDeleteरामराम.