रविवार, 4 अगस्त 2013

कार्टून:- भारत में कश्‍मीरि‍यों के साथ अन्‍याय ही होता आया है


14 टिप्‍पणियां:

  1. लोग अपने घर से बाहर हैं, पिछले २३ सालों से, उन्हें भी अपने घर में स्थान मिले।

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  2. छै बाल ? मुझे तो एक भी ना फेंकने दी श्रीनू ने :)

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  3. धारा सत्तर तीन सौ, है विशेष अधिकार |
    एक सीट निश्चित करो, रे भारत सरकार |
    रे भारत सरकार, सुनो बी सीसी आई |
    शामिल करो रसूल, नहीं तो बोले भाई |
    होगा खेल खराब, ख़त्म हो सट्टा सारा |
    क्लब पर बना दबाव, अन्यथा डॉन पधारा ||

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  4. कम से कम दस बाल तो होनी चाहियें।

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  5. एक ओवर मिल जाता तो शायद यह शिकायत न होती ! :)

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  6. पुराने आस्ट्रेलियाई ओवर की तरह कम से कम आठ बाल तो देनी ही चाहिये, विशेषाधिकार के नाते.

    रामराम.

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  7. यही हालात रहे तो अगली बार टीम में इनके चयन के समय हजार बार सोचा जाएगा , मुख्यमंत्री जी का ज्यादा सपोर्ट बच्चे को नुकशान कर देगा |

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  8. निर्णय तो यह गलत है ही कि एक ही खिलाडी एक्स्ट्रा के तौर पर है जिसे आपने एक भी मौका नहीं दिया बाकी सबको खिला लिया।परंतु इसमें कश्मीरी होने के कारण ही भेदभाव जैसी कोई बात नहीं।अंशुमाला जी का कहना भी सही है ज्यादा अपेक्षाएँ भी खिलाडी के लिए सही नहीं होती है।

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  9. राजनीतिज्ञ अपनी गन्दगी फ़ैलाने से कभी नहीं चूकते .उनका नजरिया सदेव लोगों के बीच फुट डालना ही होता है.अब्दुल्ला शायद कभी क्रिकेट न खेले हो उन्हें पिच आदि की कोई जानकारी न हो पर अपनी बात कह वह खिलाडी को जरूर हताश कर देंगे

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  10. ये तो सरासर अन्याय है जी इससे खेल का खेलायिक माहौल बिगड सकता है :)

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