.गुरु गुड चेला शक्कर हो गए .....कृपया यहाँ भी पधारें -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_7883.html./http://veerubhai1947.blogspot.in/ शनिवार, 5 मई 2012 चिकित्सा में विकल्प की आधारभूत आवश्यकता : भाग - १
Emerging Jharkhand Times Impact Awards is initiative of advertising agencies of Ranchi and Event Management Companies who try to give a tribute those people who think, work and gathered information for Jharkhand and its people.
:)
जवाब देंहटाएं:) :)
जवाब देंहटाएंकिरपा का ही जमाना है।
जवाब देंहटाएंकिरपा के मायने बदल गए अब तो ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंलिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
Maza aa gaya!
जवाब देंहटाएंबिन किरपा बाबा नहीं!!
जवाब देंहटाएंकिरपा का हिमालय से क्या सम्बन्ध !
जवाब देंहटाएंआज --आज तक -- पर सुपर किरपा दिखा रहे थे ।
बिना किरपा के बाबा का क्या मतलब!!
जवाब देंहटाएंअब तो ये पूछना भी बनता है.... :)
जवाब देंहटाएंबाबा जी -
जवाब देंहटाएंबच्चा अंटी में दसवंद का जुगाड़ हो तो किरपा की बात करो :)
किरपा विरपा तो ऐसी करूँगा बेटा
जवाब देंहटाएंकि तुझ पे संभाली भी नहीं जायेगी.
बस दसबंद का सवाल है.
:):) बिना कृपा के बाबा कौन मानेगा ?
जवाब देंहटाएं.गुरु गुड चेला शक्कर हो गए .....कृपया यहाँ भी पधारें -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_7883.html./http://veerubhai1947.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंशनिवार, 5 मई 2012
चिकित्सा में विकल्प की आधारभूत आवश्यकता : भाग - १
स्कूल में चरस और गांजा ,भुगतोगे भाई, खामियाजा
किरपाम देहि मोहि किरपाम देहि बाबा :)
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंजय हो...
जवाब देंहटाएंइतना सुंदर भेष बनाया है तो कृपा भी कर पाते होंगे।:)
जवाब देंहटाएंसबसे सस्ती खेती--बाबाओं की कृपा।
जवाब देंहटाएंजिसके ऊपर किरपा है वह तो हिमालय पर जाए बिना भी धकाधक किरपा बरसा रहे हैं.
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग गूगल क्रोम में नहीं खुलता है ज्यादातर, जरा देखिएगा क्या समस्या है. लेकिन आज तो खुल गया.
जवाब देंहटाएंकभी कभी kajal.tk किसी भी ब्राउज़र में दिक्क़त करता है. ऐसे में http://kajalkumarcartoons.blogspot.in लिंक काम करता है
हटाएंनहीं कोई प्रोडक्ट तो हर बिजनेस है व्यर्थ
जवाब देंहटाएंअर्थहीन हर कार्य है , अगर न आये अर्थ.
अर्थ बनाने के लिये , चिंता करता व्यर्थ
सिर्फ बेचना सीख ले , कंज्यूमर है अर्थ.
अर्थ अर्थ का ठीक से, सदा समझना अर्थ
अर्थ तभी मिल पायेगा, जब सीखेगा अर्थ.
हिमालय का भी क्या पाता गए या नहीं.:):)
जवाब देंहटाएंयह सही रही ...
जवाब देंहटाएंबावा भी क्या याद रखेगा !
लाख टके का सवाल है।
जवाब देंहटाएंपूछना तो बनता है :)
जवाब देंहटाएंसोमवार, 7 मई 2012
जवाब देंहटाएंभारत में ऐसा क्यों होता है ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
तथा यहाँ भीं सर जी -
चोली जो लगातार बतलायेगी आपके दिल की सेहत का हाल
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_07.html
चकाचक!
जवाब देंहटाएंआप भी क्या बात करते हैं काजल जी :) आजकल बाबाओं का ही तो ज़माना है। तो कृपा तो बनती है बस कृपा करने का तरीका बादल गया है :)
जवाब देंहटाएंEmerging Jharkhand Times Impact Awards is initiative of advertising agencies of Ranchi and Event Management Companies who try to give a tribute those people who think, work and gathered information for Jharkhand and its people.
जवाब देंहटाएंinformation about jharkhand