बुधवार, 27 जुलाई 2011

कार्टून:- विकास बहुत complex अवधारणा है क्या ?


29 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी दिलाई दिल्ली की याद -अभी टटकी भी है !:)

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  2. सोच की ताज़ी बयार में गम रहते हो दोस्त ,सूचना की ऊनामी आपका क्या कर लेगी .आप तो अपने ही चिंतन के अपुश्पक पे सवार रहते हैं .बाद सटीक कार्टून .भिक्षाम देहि का अभिनव आयाम .

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  3. विकास भी एक दुधारी तलवार है। संतुलन बनाने के लिये अर्थशास्त्र के बडे स्कूल की पढाई काफ़ी नहीं है।

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  4. कमाल है जी.
    भिखारी कार में?
    यही तो विकास है, धंदा नहीं छोडेंगें.

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  5. सोच की ताज़ी बयार में गम रहते हो दोस्त ,सूचना की सुनामी आपका क्या कर लेगी .आप तो अपने ही चिंतन के पुष्पक विमान पे सवार रहते हैं .सटीक कार्टून .भिक्षाम देहि का अभिनव आयाम .

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  6. विकास की परिभाषाएँ बदलती जा रही हैं..
    बहुत सही चित्रण किया है.

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  7. हा हा हा ! सटीक चित्रण किया है आपने ! ज़बरदस्त प्रस्तुती!

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  8. हा हा हा ! गरीब भिखारी --अमीर भिखारी । क्या अब ये भी आरक्षण मांगेंगे ?

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  9. भिक्षुक को लोन पर कारें!
    अब हमारे यहां भी देसी सब प्राइम क्रांति को कोई रोक नहीं सकता! :)

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  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  11. हमारा विकास बिल्कुल सही दिशा में जारहा है, कार्टून सटीकतापूर्वक वस्तुस्थिति से रूबरू करवाने में सक्षम है, बहुत शुकामनाएं.

    रामराम.

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  12. जी विकास एक बहुत हीं काम्प्लेक्स अवधारणा है.
    लोग अक्सर कन्फ्यूज हो जाते हैं की आखिर विकास किसका करना है? अपना या देश का? शायद इसी उधेड़बुन में गलतियाँ कर जाते हैं और नाहक हीं घोटालों के साथ अखबार की सुर्ख़ियों में आ जाते हैं.

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  13. बहुत बढ़िया
    भिकारियो के भी अपने ठाठ है

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  14. कल 29/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  15. हा हा हा ....... अंदर की बात क्यों बता देते हो भाई .

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