रविवार, 10 जुलाई 2011

कार्टून:- ये है मंत्रिमंडल के विस्तार का सच


24 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा वैशाखी ही वैसाखी .... inhin पर आश्रित हैं .

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  2. आप उन्हें बैसाखी पर्व भी नहीं मनाने देंगे :)

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  3. प्रिय ब्लोग्गर मित्रो
    प्रणाम,
    अब आपके लिये एक मोका है आप भेजिए अपनी कोई भी रचना जो जन्मदिन या दोस्ती पर लिखी गई हो! रचना आपकी स्वरचित होना अनिवार्य है! आपकी रचना मुझे 20 जुलाई तक मिल जानी चाहिए! इसके बाद आयी हुई रचना स्वीकार नहीं की जायेगी! आप अपनी रचना हमें "यूनिकोड" फांट में ही भेंजें! आप एक से अधिक रचना भी भेजें सकते हो! रचना के साथ आप चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक(ब्लॉग लिंक), ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिख सकते है! प्रथम स्थान पर आने वाले रचनाकर को एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा! रचना का चयन "स्मस हिन्दी ब्लॉग" द्वारा किया जायेगा! जो सभी को मान्य होगा!

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  4. एक्सचेंज आफर कमाल का है.
    वैशाखियों के बिना चलना कठिन है.
    जब अपने पैर ना हों तो वैसाखियाँ चाहियें ही.

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  5. इन्होने अपनी तरह देश को भी मजबूरन बैसाखियों के सहारे ही टिका दिया है!

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  6. बैसाखी के बिना कुछ नहीं कर सकते! वैशाखियों पर आश्रित जो हैं|

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  7. यह तो अलाउद्दीन का चिराग खरीदने जैसा है:)

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  8. कितना सच काजल भाई, काश की इसे सत्ताधीश समझ पाता। बधाई इस संवेदना के लिए।

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  9. बैसाखी तो बैसाखी है, पाँव नहीं बन पायेगी..

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  10. सरदार पर चुटकुलों का दौर फिर शुरू होने ही वाला है।

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  11. अब ये बैशाखी ही देश का सच है .काजल भाई .कहाँ रहे हम तुम इतने दिन ?

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  12. शायद इन्ही के आसरे कुछ समय और गुजर जाये.

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  13. ये बेचारी बैसखिया हमारे प्रधानमंत्री को क्या सहारा देंगी वो तो खुद मैडम जी के सहारे चल रही है |

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  14. बहुत बढि़या। कार्टून का मजा तभी है जब टिप्‍पणी भी उतनी ही जोरदार हो जितना कि कार्टून। आपन इस काम में सिद्धहस्‍त हैं।

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