ओमान की राजधानी मस्कट की हवाई दूरी मुंबई से महज़ 2 घंटे है. इसकी क़रीब 32 लाख की जनसंख्या में लगभग 11 लाख विदेशी हैं जिनमें से लगभग दो-तिहाई भारतीय हैं. यहां 81% साक्षरता है व पुरूष-महिलाएं समाजिक गतिविधियों में लगभग समान रूप से सम्मिलित हैं. लगभग 100 भारतीयों को ओमानी नागरिकता दी गई है जो इस क्षेत्र के देशों की नीतियों से मेल नहीं खाता लगता.
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मस्कट, समुद्र किनारे कई पहाड़ियों के बीच बसा हुआ शहर है. यहां गर्मियों में तापमान 50 डिग्री तक चला जाता है. यहां क़ानून व्यवस्था बहुत अच्छी है, तीन दिन में यहां मुझे एक भी पुलिसवाला नहीं दिखा. यहां अगर ओमानी ड्राइवर अपने मालिक साथ बैठ कर एक ही प्लेट से कुछ खा रहा हो तो आपको हैरानी नहीं होनी चाहिए, यहां के समाज में भारतीयों जैसी कई मूर्खताएं नहीं हैं. |
पारंपारिक वेषभूषा में एक ओमानी नागरिक | यहां अधिकांश इमारतों का रंग सफेद है. |
जंगल में मंगल. पथरीले धरातल पर फैली हरियाली. | यहां बिजली के खंभों के डिज़ाइन सुरूचिपूर्ण दिखेंगे. | सुलतान क़बूस के चित्र यूं सार्वजनिक स्थलों पर देखे जा सकते हैं. |
समुद्र के किनारे बनाया गया है भारत का नया राजदूतावास. ओमान में भारतीय समुदाय ने अच्छा नाम कमाया है. |
समुद्र किनारे बनाए गए अल-बुस्तान होटल के पास अपना प्राइवेट बीच भी है. |
‘सुल्तान क़बूस मस्जिद’ देखने लायक है. इसे 2001 में पूरा किया गया है. यह एक बहुत विशाल मस्जिद है. इसके सामने रंग-बिरंगे फूलों की छटा देखते ही बनती है.
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‘मत्राह सूक’ यहां का परंपरागत बाज़ार है जो अरब-जगत के सबसे पुराने बाज़ारों में से एक है. इसमें भारतीय मूल के भी कई लोगों की दुकानें हैं. मत्राह, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक बंदरगाह है. यह अरब-जगत के पूर्व के साथ होने वाले व्यापार का एक प्रमुख क्षेत्र रही है.
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यहां पुर्तागालियों ने कुछ समय तक कब्जा बनाए रखा. म़त्राह सूक के बाहर एक पुर्तगाली चौकी. | मत्राह सूक के बाहर आराम करते लोग. यह लोगों के बैठने का ख़ास अड्डा है. |
सुल्तान का महल व महल के सामने का सामने का दृश्य. सुल्तान क़बूस ने भारत में शिक्षा पाई है. पूर्व राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्मा इनके अघ्यापक रहे. मस्कट के लोग आज भी याद करते हैं कि जैसा स्वागत श्री शंकरदयाल शर्मा जी का हुआ था वैसा आजतक किसी दूसरे राष्ट्राध्यक्ष का नहीं हुआ.
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मत्राह बंदगाह पर शाही नौका | मत्राह बंदगाह के किनारे एक टाइमपास दुकान. |
मत्राह बंदगाह के किनारे पारंपरिक मकान जिन्हें देखकर बरबस ही भारतीय परिवेश का बोध होता है | यहां गगन चुंबी इमारतो का रिवाज़ नहीं है और चारों ओर खुलेपन का आभास होता है. |
और अंत में…..
होटलों के कमरों में आमतौर से रेफ़्रीजिरेटर होता है जिसमें पीने वालों के लिए माल-मत्ता रहता है. इसे मिनी-बार कहते हैं. प्रयोग की गई बोतल का भुगतान अलग से करना होता है. यहां, पहली बार, मुझे मिनी-बार पर एक सील भी लगी मिली :) |
-काजल कुमार |
इस रोचक यात्रा वृत्तांत को पढ़ना अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंसादर
ओमान की यात्रा कराने का आभार .
जवाब देंहटाएंभारतीय भारत से बाहर हर जगह नाम कम लेते हैं अपने ही देश में न जाने क्या हो जाता है :)
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जवाब देंहटाएंमाल-मत्ता का मतलब मैं मुद्रा समझता था। आज पता चला वह द्राक्षासव भी होता है! :)
जवाब देंहटाएंइसे रिपोर्ताज कहें या संमरण जो भी है बहुत खूबसूरत वृत्तांत है झांकियां लिए सजीव स्थलाकृति की स्थानों की और सबसे बड़ी बात और अच्छी बात लगी -ड्राइवर और मालिक एक ही प्लेट से खाते दिखेंगे .यहाँ भारत जैसी कई मूर्खताएं नहीं हैं .भाई साहब ये कई क्या ?यहाँ इनके सिवाय कोई अच्छी बात हो जन जीवन के लिए सैलानियों के लिए ,कृपया बतलाएं .आपकी बड़ी मेहरबानी होगी .
जवाब देंहटाएंसुन्दर यात्रा विवरण.... सुन्दर फोटोस....
जवाब देंहटाएंयहीं बैठे ओमान यात्रा का लुत्फ़ दिला दिया आपने !
जवाब देंहटाएंWaqayee bada maza aa gaya ye sachitr yatra warnan padhte hue!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रों से सजा बढ़िया यात्रा वृत्तांत!
जवाब देंहटाएंmarvelous. beautiful . excellent.
जवाब देंहटाएंयहीं बैठे ओमान यात्रा का लुत्फ़ दिला दिया आपने !
जवाब देंहटाएंचित्रों के माध्यम से देश के सशक्त पहलुओं को उजागर कर दिया।
जवाब देंहटाएंअच्छा, इसी लिए आजकल कार्टून नदारद हैं:) शुभ यात्रा॥
जवाब देंहटाएंचित्रों के साथ यात्रा का वृत्तांत रोचक लगा..मालिक के साथ ड्राइवर का बैठना कोई बड़ी बात नहीं अरब देशों में...बचपन से ही अरब देश में पले बढ़े बच्चे अगर अपने देश में जाकर ड्राइवर..बाई..रिक्शावाले या चपरासी को अंकल ,आंटी , भइया या दीदी कह दे और कुर्सी पर बैठने के लिए कहें तो बस पूछिए नहीं मज़ाक और फिर डाँट अलग खानी पड़ती है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर यात्रा विवरण, हमारे से छोटे छोटे देशो के खुब तरक्की कर ली जागरुक हो गये, हम आज भी १०० साल पहले वाली जगह पर ही बैठे हे, हम ने तर्क्की की हे नकल मारने मे अग्रेजी बोलने मे, कपडो मे असली तक्की आप की इस मास्कट यात्रा मे मास्कट की दिखती हे,
जवाब देंहटाएंरोचक विवरण
जवाब देंहटाएंसील अलग हुआ तो हमने कभी नहीं देखा :) इसका फंडा पता चला?
जवाब देंहटाएंरोचक रही यात्रा
जवाब देंहटाएंमजेदार रही चित्रमय यात्रा....
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जवाब देंहटाएंकाज़ल जी, अपने यात्रा-वृताँतों में भोजन ( शाकाहारी व माँसाहारी ) की उपलब्धता का उल्लेख अवश्य करें, किसी नयी जगह पर खास तौर पर जहाँ भाषा की समस्या है, खाने का उपयुक्त ठिकाना ढूँढने में बड़ी दिक्कत आती है !
@ डा0 अमर कुमार जी
जवाब देंहटाएंआपकी बात एकदम सही है. मुझे वास्तव में ही इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिये था क्योंकि इस दुविधा से तो, 'कड़ा-शाकाहारी' होने के कारण मैं स्वयं भी हर बार ही गुजरता हूं :)
मेरा एक ही मंतर रहता है... जो समझ नहीं आया, नहीं खाया. आमतौर से मैं दूध, ब्रेड, सलाद, फल, आलू व दूसरी सब्ज़ियों से काम चलाता हूं (सौभाग्य है कि मुझे खाने का कोई ख़ास शौक नहीं है इसलिए जो कुछ भी मिल जाए, काम चला लेता हूं :). कभी-कभी कुछ भारतीय मित्र खाने पर बुला लेते हैं तो पौवारह हो जाती है वर्ना कहीं-कहीं भारतीय रेस्टोरेंट भी मिल ही जाते हैं
Indians are famous every where.
जवाब देंहटाएंIndia rocks \m/
ओमान में ४ साल रही हूँ..एक लगाव सा है..यहाँ के लोग अपेक्षाकृत सीधे हैं .
जवाब देंहटाएंमस्कट में एक बहुत ही पुराना शिव मंदिर है और एक भव्य कृष्ण मंदिर..क्या आप ने नहीं देखा?
-----सुलतान काबूस ने अजमेर में शिक्षा ली थी वहाँ उन्होंने एक भवन भी बनवाया था जिसे आज भी उनके नाम से जाना जाता है..
@Alpana Verma
जवाब देंहटाएंYes, I was told that there are Gurudwaras, Temples & a cremation ground too.... which due to paucity of time I could not visit.
रोचक यात्रा वृत्तांत ....
जवाब देंहटाएंस्वयं ओमान की यात्रा करने जैसा महसूस हुआ.