बुधवार, 25 फ़रवरी 2009

कार्टून:- मैं चाहे तो घुटने टेकूं...मेरी मर्ज़ी

10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह क्या सामयिक और लाजवाब व्यंग है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  2. अगले के पास घुटने थे तो टेक दिये...क्या बूरा किया? :)

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  3. पता नहीं, कार्टूनिस्‍टों को कैसे पता चल जाती है ठेठ अन्‍दर की बात।

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  4. घुटने टेकना उनके स्वस्थ्य के लाभकारी है.....:-)

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