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baba ?na baba na ..........
हम ब्लागर ही भलेझोली में कंप्यूटर लटकाए चले :)
Ha,ha,ha!!
ना जी ना, जब तक कांग्रेसी है तब तक ना
हैं न पहले से ही, एक तो हमारे दीपक बाबा ही हैं..
बाबाओं के खजाने को देख कर लगता है 'बाबा' संबोधन का अर्थ /पर्याय बदलना पड़ेगा .[वैसे 'ब्लोगर बनने चले बाबा!' :)यह एक नेक ख्याल है, कोचिंग शुरू कर दी जाए!
वाह....
अरे भई कभी तो किसी चीज़ को पाजिटिव ले लो.कुछ न करने से तो अच्छा है कुछ तो कर रहा है हा .. हा ..हा
यह आप्शन ट्राइ कर तो लूं....लेकिन बाबाओं का हाल देख कर भय लगता है....
:)
बाबा से तो ब्लॉगर ही भले :)
बाबा या ब्लागर ? हम तो ब्लागर ही भले.
सारगर्भित एवं प्रेरक रचना के लिए आभार।
बढ़िया!
उन्हें अनशन भी करना पड़ता है और फिर कैसे कैसे वस्त्र धारण करना पड़ते हैं यह जानते हुए भी ब्लागरों को ऐसी शुभकामनायें :)
बाबागिरी जय हो
nice yaha ki nai post se bhi update rahe aur hamara utsah vardhan karte rahehttp://chhotawriters.blogspot.com
वाकई आजकल तो बाबागिरी से बेहतर कोई दूसरा केरियर कहाँ !!
khoob kaha baba me 2 b blogger me ek baba ke behad kareeb
गौर करने लायक बात है काजल भाई ! !शुभकामनायें आपको !
अच्छी व्यंग्य दृष्टि
दोनों काम इकट्ठे भी तो हो सकते हैं।ब्लॉगर बाबा
पहले भेद खुला होता तो बाबे ही बनते\
बा बा ब्ला गर ...बा य !
हाहा....सही सवाल...:)
hahahahahahahaha,naya option wo bhi success ki 100%gaurantee ke sath.
भैया जी , अपना तो टांका ही नहीं भिड़ रहा । आपका कार्टून खुलता ही नहीं ।
Baat to theek hai...
हा हा हा ! कमाल हो गया । यह ऑप्शन घर के कंप्यूटर पर दिखाई नहीं दे रहा ।
छुपी हुई मार है आदमी पिट भी जाए उसे खबर भी न हो .
तो सीट भी सोने की मिलती है इस व्यवसाय में .बेहतरीन काजल भाई .
baba ?
जवाब देंहटाएंna baba na ..........
हम ब्लागर ही भले
जवाब देंहटाएंझोली में कंप्यूटर लटकाए चले :)
Ha,ha,ha!!
जवाब देंहटाएंना जी ना, जब तक कांग्रेसी है तब तक ना
जवाब देंहटाएंहैं न पहले से ही, एक तो हमारे दीपक बाबा ही हैं..
जवाब देंहटाएंबाबाओं के खजाने को देख कर लगता है 'बाबा' संबोधन का अर्थ /पर्याय बदलना पड़ेगा .
जवाब देंहटाएं[वैसे 'ब्लोगर बनने चले बाबा!' :)
यह एक नेक ख्याल है, कोचिंग शुरू कर दी जाए!
वाह....
जवाब देंहटाएंअरे भई कभी तो किसी चीज़ को पाजिटिव ले लो.
जवाब देंहटाएंकुछ न करने से तो अच्छा है कुछ तो कर रहा है
हा .. हा ..हा
यह आप्शन ट्राइ कर तो लूं....लेकिन बाबाओं का हाल देख कर भय लगता है....
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंबाबा से तो ब्लॉगर ही भले :)
जवाब देंहटाएंबाबा या ब्लागर ? हम तो ब्लागर ही भले.
जवाब देंहटाएंसारगर्भित एवं प्रेरक रचना के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंबढ़िया!
जवाब देंहटाएंउन्हें अनशन भी करना पड़ता है और फिर कैसे कैसे वस्त्र धारण करना पड़ते हैं यह जानते हुए भी ब्लागरों को ऐसी शुभकामनायें :)
जवाब देंहटाएंबाबागिरी जय हो
जवाब देंहटाएंnice yaha ki nai post se bhi update rahe aur hamara utsah vardhan karte rahehttp://chhotawriters.blogspot.com
जवाब देंहटाएंवाकई आजकल तो बाबागिरी से बेहतर कोई दूसरा केरियर कहाँ !!
जवाब देंहटाएंkhoob kaha baba me 2 b blogger me ek baba ke behad kareeb
जवाब देंहटाएंगौर करने लायक बात है काजल भाई ! !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
अच्छी व्यंग्य दृष्टि
जवाब देंहटाएंदोनों काम इकट्ठे भी तो हो सकते हैं।
जवाब देंहटाएंब्लॉगर बाबा
पहले भेद खुला होता तो बाबे ही बनते\
जवाब देंहटाएंबा बा ब्ला गर ...बा य !
जवाब देंहटाएंहाहा....सही सवाल...:)
जवाब देंहटाएंhahahahahahahaha,naya option wo bhi success ki 100%gaurantee ke sath.
जवाब देंहटाएंभैया जी , अपना तो टांका ही नहीं भिड़ रहा । आपका कार्टून खुलता ही नहीं ।
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंBaat to theek hai...
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! कमाल हो गया । यह ऑप्शन घर के कंप्यूटर पर दिखाई नहीं दे रहा ।
जवाब देंहटाएंछुपी हुई मार है आदमी पिट भी जाए उसे खबर भी न हो .
जवाब देंहटाएंतो सीट भी सोने की मिलती है इस व्यवसाय में .बेहतरीन काजल भाई .
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