काजल भाई बहुत ही सार्थक मुद्दा उठाया है .हमारे महानगरों में बाल श्रमिक भी जो अपना घर छोड़ इधर भागें हैं ,जन गणना के हाशिये से बाहर है .सटीक पैनी दृष्टि के लिए बधाई .
सरकार के अनुसार उसने इस बार सड़क पर रह रहे लोगो की भी जनगणना कराई है इसके लिए बाकायदा रात में सड़को पर जा जा कर लोगो को गिना गया था किन्तु इसका फायदा क्या होगा संख्या के हिसाब से सरकार योजनाये बनाएगी और ज्यादा पैसा भेजेगी जो जायेगा कहा ये सभी को पता है |
वाह वाह बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंसही बात है :)
जवाब देंहटाएंओह...व्यंग के साथ टीस भी.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंफादर्स-डे की बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
काजल भाई बहुत ही सार्थक मुद्दा उठाया है .हमारे महानगरों में बाल श्रमिक भी जो अपना घर छोड़ इधर भागें हैं ,जन गणना के हाशिये से बाहर है .सटीक पैनी दृष्टि के लिए बधाई .
जवाब देंहटाएंमेरे अस्तित्व पर भी मुहर लगवा दो।
जवाब देंहटाएंगहरा कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक .
जवाब देंहटाएंये मुद्दा भी उपेक्षित मुद्दों में से एक है.
कुछ गड़बड़ है । हमें कार्टून दिख नहीं रहा ।
जवाब देंहटाएंपहले आधार कार्ड तो बवालो :)
जवाब देंहटाएंबहुत महत्वपूर्ण मुद्दे को छुआ है.
जवाब देंहटाएंवाकई आज तो मान गये ....:))
जवाब देंहटाएंAah!
जवाब देंहटाएंसाहब कहेंगे इससे तो भीख ही दे देते हैं।
जवाब देंहटाएंये बेचारे जन मे गिने ही कब जाते हैं जो गणना हो।
जवाब देंहटाएंसरकार के अनुसार उसने इस बार सड़क पर रह रहे लोगो की भी जनगणना कराई है इसके लिए बाकायदा रात में सड़को पर जा जा कर लोगो को गिना गया था किन्तु इसका फायदा क्या होगा संख्या के हिसाब से सरकार योजनाये बनाएगी और ज्यादा पैसा भेजेगी जो जायेगा कहा ये सभी को पता है |
जवाब देंहटाएंबहुत ही दारूण, करुणामयी, टीस-भरा कार्टून.
जवाब देंहटाएंआपने एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढि़या
जवाब देंहटाएंहंसी के फवारे में- अजब प्रेम की गजब कहानी
काम हो जाएगा | पैसे लगेंगे |
जवाब देंहटाएंव्यंग के साथ टीस भी|
जवाब देंहटाएंapni-apni aukat !
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