काजल भाई , (१) बाबा ,पानी की टंकी और खुद की कनपटी पर पिस्तौल ! अब इसका क्या मतलब निकालूं मैं :)
पिस्तौल के प्रतीक से पता नहीं क्यों फिल्म संघर्ष याद आ रही है !
(२) कांपने वाले बंदे के लिए गुलाम अली द्वारा गाई गयी चंद लाइनों की पैरोडी ... कल शब मुझे बेशक्ल सी आवाज़ नें चौंका दिया उसने कहा तू कौन है मैंने कहा आवारगी !
अब आप 'आवारगी' को बेचारगी ,लाचारगी , वगैरह वगैरह से रिप्लेस करके देखियेगा :)
ha ha ha :))))
जवाब देंहटाएंकाजल जी टंकी तो वहां पर नहीं है, हाँ सामने ही टंकी का परदादा या कहो लकडदादा सिविक सेन्टर जरुर है,
जवाब देंहटाएंनहीं माने यू तो हठ वाला बाबा है,
इसी को कहते हैं हठासन, वैसे बाबा पलटासन में भी माहिर हैं ...हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंसत्यवचन
जवाब देंहटाएंकपालभाति के बाद कंपकंपासन की खुराक!
जवाब देंहटाएंहा हा ...बेहद सटीक
जवाब देंहटाएंअच्छा पोस्ट है जी आपका!मेरे ब्लॉग पर आए ! :)))
जवाब देंहटाएंbahut hi samayik jog vyangy ...ab to baba chadh gaye hain ha ha ha
जवाब देंहटाएंपी एम साहब की उपलब्धियाँ ही हैं कि दे अनशन पे अनशन हो रहे हैं।
जवाब देंहटाएंइस बज़र -बट्टू की तो कंपकपी छूटेगी ही उस तपस- व्रता की भी कुछ बता भैये !
जवाब देंहटाएंदेखते हैं किसकी दाढ़ी भारी पड़ती है!
जवाब देंहटाएंकिसी को तो बोलने दो भाई ।
जवाब देंहटाएंअभी टी वी पर देखा --सुनने में तो बड़ा मज़ा आ रहा था ।
सटीक व सामयिक
जवाब देंहटाएंएक दहाड़ से सब मिमियाने लगे...
जवाब देंहटाएंबहुत असर है इस आसन में :) :)
जवाब देंहटाएंएक दम ओरिजिनल थौट है!!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब!
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं:) :)
जवाब देंहटाएंjai ho
अब तो पसीने छूटना ही है :)
जवाब देंहटाएंकुछ भी हो जी बाबा मे दम हे...
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंबाबा दमदार हैं. मानना पड़ेगा.
जवाब देंहटाएंकाजल भाई ,
जवाब देंहटाएं(१)
बाबा ,पानी की टंकी और खुद की कनपटी पर पिस्तौल ! अब इसका क्या मतलब निकालूं मैं :)
पिस्तौल के प्रतीक से पता नहीं क्यों फिल्म संघर्ष याद आ रही है !
(२)
कांपने वाले बंदे के लिए गुलाम अली द्वारा गाई गयी चंद लाइनों की पैरोडी ...
कल शब मुझे बेशक्ल सी आवाज़ नें चौंका दिया उसने कहा तू कौन है मैंने कहा आवारगी !
अब आप 'आवारगी' को बेचारगी ,लाचारगी , वगैरह वगैरह से रिप्लेस करके देखियेगा :)
:):) असरदार
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