CARTOON, SATIRE, HUMOR, POLITICS, COMIC, LITERATURE, CARICATURE, LAMPOON, SKIT, RIDICULE, MOCKERY, SARCASTIC
बहुत खूब!
SAHI FARMAYA YAHJI TAREEKA HABACHA HAI BAHUT KHUB .....
बढ़िया कटाक्ष
सही कहा ..हिन्दुस्तान का यही भविष्य है ...
अबकी बारी अन्ना हजारी
गज़ब!
वाह ! क्या तरीका निकाला है !!!!!!! बढ़िया व्यंग्य |
यही हश्र तो होना था.
:)
आज व्यंग में करुण रस का समागम किया है. लेकिन समझदार को इशारा काफी वाली उक्ति चरितार्थ नहीं हो पा रही.
SAME SAME CONNGRES
लाजवाब......
अब बस यही होना बाकी है
क्या बात है ... पुलसिया नजरिये पर सामयिक जोरदार व्यंग्य...
जब तक लाठी में है दम, तब तक शांति वार्ता है कम:)
हा हा हा। सामयिक और तीखा व्यंग्य करता हुआ कार्टून।
बढिया है।---------हॉट मॉडल केली ब्रुक... लूट कर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा।
:) :) .यही बाकी बचा है अब
संवाद तो फिर भी हुआ।
सच तो यही है
बहुत खूब! मार्मिक व्यंग्य शासनिक विद्रूप पर .तुम जियो हज़ारों साल काजल कुमार जी .
बढ़िया कटाक्ष....
ये शेर जाने क्यूँ याद आ गया!"रोने से और इश्क में बेबाक हो गए, धोए गए कुछ ऐसे की बस पाक हो गए."-मिर्ज़ा ग़ालिब
कितना सटीक !
good one ....
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंSAHI FARMAYA YAHJI TAREEKA HABACHA HAI BAHUT KHUB .....
जवाब देंहटाएंबढ़िया कटाक्ष
जवाब देंहटाएंसही कहा ..हिन्दुस्तान का यही भविष्य है ...
जवाब देंहटाएंअबकी बारी अन्ना हजारी
जवाब देंहटाएंगज़ब!
जवाब देंहटाएंवाह ! क्या तरीका निकाला है !!!!!!! बढ़िया व्यंग्य |
जवाब देंहटाएंयही हश्र तो होना था.
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंआज व्यंग में करुण रस का समागम किया है. लेकिन समझदार को इशारा काफी वाली उक्ति चरितार्थ नहीं हो पा रही.
जवाब देंहटाएंSAME SAME CONNGRES
जवाब देंहटाएंलाजवाब......
जवाब देंहटाएंअब बस यही होना बाकी है
जवाब देंहटाएंक्या बात है ... पुलसिया नजरिये पर सामयिक जोरदार व्यंग्य...
जवाब देंहटाएंजब तक लाठी में है दम,
जवाब देंहटाएंतब तक शांति वार्ता है कम:)
हा हा हा। सामयिक और तीखा व्यंग्य करता हुआ कार्टून।
जवाब देंहटाएंबढिया है।
जवाब देंहटाएं---------
हॉट मॉडल केली ब्रुक...
लूट कर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा।
:) :) .यही बाकी बचा है अब
जवाब देंहटाएंसंवाद तो फिर भी हुआ।
जवाब देंहटाएंसच तो यही है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! मार्मिक व्यंग्य शासनिक विद्रूप पर .तुम जियो हज़ारों साल काजल कुमार जी .
जवाब देंहटाएंबढ़िया कटाक्ष....
जवाब देंहटाएंये शेर जाने क्यूँ याद आ गया!
जवाब देंहटाएं"रोने से और इश्क में बेबाक हो गए,
धोए गए कुछ ऐसे की बस पाक हो गए."
-मिर्ज़ा ग़ालिब
कितना सटीक !
जवाब देंहटाएंgood one ....
जवाब देंहटाएं:)
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