गुरुवार, 7 जून 2012

कार्टून :- टॉयलेट टू बी or नॉट टू बी

15 टिप्‍पणियां:

  1. यही वह टॉयलेट है जहां एक न एक दिन सबको जाना है, यह समझ आ जाए फिर तो लोग टॉयलेट से ३६ का आंकड़ा ही न रखें।

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  2. बच्चे अब लालकिला देखने के बजाय 'ऊ' देखना चाहते हैं !

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  3. ये सज्जन कल सफाई दे रहे थे कि यह टोइलेट कर्मचारियों के लिए है जिसमे नहाने के टब और गीजर लगे है, कोई इनसे पूछे कि भैया, ये सरकारी बाबू लोग घर से दफ्तर बिना नहाए जाते हैं क्या ?

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  4. बुधवार, 6 जून 2012
    मायावती की पुलिस व अखिलेश की पुलिस में कोई अंतर नहीं

    मायावती सरकार की ए.टी.एस और एस.टी.ऍफ़ एक नियोजित साजिश के तहत मुसलमानों के बच्चों को दहशतगर्दी के आरोप में निरुद्ध कर रही थी। चुनाव के वक्त समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में यह घोषणा की थी कि किसी भी तबके के नौजवानों को फर्जी आरोपों में निरुद्ध नहीं किया जायेगा किन्तु समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद भी ए.टी.एस और एस.टी.ऍफ़ के कार्यकलापों में कोई अंतर नहीं आया है।
    पिछले कुछ वर्षों से दहशतगर्दी के नाम पर जिस तरह से मुस्लिम समाज कोबदनाम करने की सियासत चल रही है उसने पूरे समाज को दहशत में जीने कोमजबूर कर दिया है। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है पर अब इसके निशाने पर पर हमारा जिला सीतापुर और उसके आस-पास के गांव और कस्बे आ गए हैं। पिछले दिनों इसी सिलसिले में पांच फरवरी 2012 को बसीर हसन को जब वे अपने बेटे मुसन्ना के इलाज के लिए बांगरमऊ जिला उन्नाव से संडीला जिला हरदोई जा रहे थे उसी दरम्यान उन्हें एटीएस ने उठा लिया। तो वहीं 12 मई 2012 को मो0 शकील जो दुबग्गा लखनउ से मलीहाबाद कटौली के लिए मकतब के काम से जा रहे थे को रास्ते में एटीएस ने उठा लिया। इन गिरफ्तारियों के बाद प्रदेश सरकार के ऊपर सवाल उठता है जिसने अपने चुनावी घोषणापत्र और चुनावी भाषणों में वादा किया था कि आतंकवाद के नाम पर जेलों में बंद बेगुनाह मुस्लिमों को छोड़ा जाएगा। पर छोड़ने की बात तो दूर यहां फिर से प्रदेश मंे बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फंसाने की मुहीम चल पड़ी है। इसी कड़ी में 24 मई 2012 को आजमगढ़ के जमीयतुल फलाह के दो कश्मीरी छात्रों मुहम्मद वसीम बट और सज्जाद अहमद बट को एटीएस ने अलीगढ़ रेलवे स्टेशन से उठा लिया। इस अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ जब जनता हजारों की तादाद में आजमगढ़ और कश्मीर समेत तमाम जगहों पर सपा सरकार के खिलाफ उतरी तब जाकर 31 मई को उन्हें छोड़ा गया। गौरतलब है कि बसीर और शकील दोनों ही कुतुबपुर और उसके आस-पास से ही अपनी रोजी-रोटी चला रहे थे। आज पुलिस उन पर खतरनाक दहशतगर्द होने और विदेशों में ट्रेनिंग लेने का आरोप लगा रही है। जो निहायत ही झूठ और काबिले नाबर्दाश्त है। ऐसे में आपको यह तय करना है कि सरकार के इस झूठ के खिलाफ जोरदार आवाज उठाएं

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  5. ये स्सा... लोग क्या स्वर्ण मंडित विष्ठा विसर्जन करते हैं क्या :(

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  6. 32 रुपये\27 रुपये वाली रेखा इन्होने ही खींची थी न?

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