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lagta hai aane vaale vaqt me sirf tasveeren rah jaayengi
....आज भी वो देश के नाम पर ही सब कुछ कर रहे हैं !
nice sir.... सुबह मेरे दिमाग में भी आया था विचार। एक बच्चा अपनी मां से पूछता है, मम्मी देखो, नेता इतने बड़े हो गए, फिर भी छुटटी मारते हैं संसद में नही जाते, और जिसको जाना ही पड़ता है स्कूल
:)
अब नीतियाँ ही नहीं हैं ....
देश के लिए ! :)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (क्या ब्लॉगिंग को सीरियसली लेना चाहिए) पर भी होगी!सूचनार्थ...!
स्मृतियों का संग्रहालय..
जमा जूतियाँ सैकड़ों, टूटी कुर्सी मेज ।माइक गाली शोर भी, रखते रहे सहेज ।रखते रहे सहेज, कालिमा नोट चुटकुले ।कितनी लानत भेज, दिखाते खुद को हलके ।चेले गुरु घंटाल, सरिस जो चली गोलियां । नंगे भगे नवाब, पड़ी रह गई जूतियाँ ।।
यही तो हैं भाग्य-विधाता !
देश के लिये? क्या बात करते हैं काजल भाई आप भी!!
lagta hai aane vaale vaqt me sirf tasveeren rah jaayengi
जवाब देंहटाएं....आज भी वो देश के नाम पर ही सब कुछ कर रहे हैं !
जवाब देंहटाएंnice sir....
जवाब देंहटाएंसुबह मेरे दिमाग में भी आया था विचार। एक बच्चा अपनी मां से पूछता है, मम्मी देखो, नेता इतने बड़े हो गए, फिर भी छुटटी मारते हैं संसद में नही जाते, और जिसको जाना ही पड़ता है स्कूल
:)
हटाएंअब नीतियाँ ही नहीं हैं ....
जवाब देंहटाएंदेश के लिए ! :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (क्या ब्लॉगिंग को सीरियसली लेना चाहिए) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
स्मृतियों का संग्रहालय..
जवाब देंहटाएंजमा जूतियाँ सैकड़ों, टूटी कुर्सी मेज ।
जवाब देंहटाएंमाइक गाली शोर भी, रखते रहे सहेज ।
रखते रहे सहेज, कालिमा नोट चुटकुले ।
कितनी लानत भेज, दिखाते खुद को हलके ।
चेले गुरु घंटाल, सरिस जो चली गोलियां ।
नंगे भगे नवाब, पड़ी रह गई जूतियाँ ।।
यही
जवाब देंहटाएंतो हैं भाग्य-विधाता !
देश के लिये? क्या बात करते हैं काजल भाई आप भी!!
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