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बच्चा पेट में आते ही शुरू हो जाती है यह मैराथन ये कशमकश ज़नाब .नतीज़ा ढ़ाक के वही तीन पात . कोलिज पहुँचते पहुँचते सब धान सत्ताईस सेर वैसे ही पगलाए रहतें हैं माँ बाप .स्टेटस सिम्बल बनाए हैं स्कूल को मदरसों को .
आपका ब्लोग पसंद आया। मै विरल त्रिवेदी गुजरात पाटण। हिन्दी ब्लोग लिखना प्रारंभ कीया है। आपको निमंत्रित करता हुं। आपके मित्रो को भी निमंत्रित करे। शुभरात्रि...
अबे सालों! :)
जवाब देंहटाएंकरा लो, जवान माँ बाप जो हैं...
जवाब देंहटाएंमिश्रा जी.. :D
जवाब देंहटाएंअभी तो इब्दिता-ए-इश्क है.... आगे देखिये क्या न करवायें ये स्कूल वाले...
kajal bhai....nahi sudhre sab.....pata nahi.....kaya hoga garivo ka.
जवाब देंहटाएंमस्त, शानदार, जानदार, करारा कटाक्ष क्या-क्या लिखूं..प्रशंसा के लिए शब्द नहीं हैं..बस आनंद आ गया भाई काजल कुमार जी।
जवाब देंहटाएं..बहुत बधाई इस कार्टून के लिए।
यानि हाए रे , हाए रे , हाए रे ! :)
जवाब देंहटाएंBas yahi baki tha.... :)
जवाब देंहटाएंWelcome to www.funandlearns.com
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हहाहाहा वाकई
जवाब देंहटाएं:):) मैराथन तो प्रवेश कराते हुए ही हो जाती है ..
जवाब देंहटाएंHa,ha,ha! Ye bhee karva ke rahenge!
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन पर की है मैंने अपनी पहली ब्लॉग चर्चा, इसमें आपका कार्टून भी सम्मिलित किया है. आपसे मेरे इस पहले प्रयास की समीक्षा का अनुरोध है.
जवाब देंहटाएंस्वास्थ्य पर आधारित मेरा पहला ब्लॉग बुलेटिन - शाहनवाज़
बच्चा पेट में आते ही शुरू हो जाती है यह मैराथन ये कशमकश ज़नाब .नतीज़ा ढ़ाक के वही तीन पात .
जवाब देंहटाएंकोलिज पहुँचते पहुँचते सब धान सत्ताईस सेर वैसे ही पगलाए रहतें हैं माँ बाप .स्टेटस सिम्बल बनाए हैं स्कूल को मदरसों को .
मकतबे इश्क (इश्क की पाठशाला )का दस्तूर
जवाब देंहटाएंनिराला देखा ,
उसको छुट्टी न मिली ,जिसने सबक याद किया .
सटीक बात....बहुत सही जो करवालेन यह स्कूल वाले वो कम है :)
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी को क्या हुआ :)
जवाब देंहटाएंशादी से पहले वाली मैराथन का नतीजा बाद वाली मैराथन ! आखिर को स्कूल वाले भी इसी मैराथन की फसल हैं ना :)
बाप रे!! पानी पीते पीते देखा और मुँह से पानी बाहर!! कमाल काजल भाई!!
जवाब देंहटाएंअपने बाप का माल है,,, लूट लो!
जवाब देंहटाएंलुटाने को तैयार लोगों को लूटने में क्या दिक्कत :)
जवाब देंहटाएंयानी की बिलकुल निचोड़ लो।
जवाब देंहटाएंHIV जांच भी करवा लो ....
जवाब देंहटाएंशानदार और मनमोहक।
जवाब देंहटाएंहां हां करा लो! फ़ुल मैराधन! :)
जवाब देंहटाएंमुरगा तो बनाते ही हैं!
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा .....सही हैं
जवाब देंहटाएंहम तो बच गए भाई
बहुत सुंदर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंएक ब्लॉग सबका '
माँ-बाप का मैराथन हो जाए तो स्पांसरशिप से आय हो जाएगी :))
जवाब देंहटाएंआपका ब्लोग पसंद आया।
जवाब देंहटाएंमै विरल त्रिवेदी गुजरात पाटण। हिन्दी ब्लोग लिखना प्रारंभ कीया है। आपको निमंत्रित करता हुं। आपके मित्रो को भी निमंत्रित करे। शुभरात्रि...
करा लो...jaroori hai!!
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