गुरुवार, 26 जनवरी 2012

कार्टून:- मुझसे नाराज़गी का सबब तो कहो...


22 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है,काजल भाई.

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  2. इसका भी भला हो जाता...गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  3. अब इतना मनुहार है तो कर दो न भाई!:)

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  4. फटेहाल लेखक किसी भी तरह अपनी किताब की पब्लिक सिटी चाहता हैं .......:)

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  5. पुलिसिया जवाब........

    माँ-'बैन' करना, अपनी तो आदत में नही है ! 'गाली' भी तो कोई तेरी 'पुस्तक'में नही है !!

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  6. सही कहा है!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  7. बहुत खूब

    गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें..

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  8. सही है :-)यथार्थ को आईना दिखती पोस्ट ...

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  9. तुम्हें सलमान बनाना है न रुशदि... बस हिंदुस्तानी बनाना है:)

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  10. हा हा हा ..
    क्या बात है ..यथार्थ...

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  11. बेहतरीन व्यंग्य .श्रम उनको फिर भी नहीं आती .

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  12. काजल जी,

    क्या बात है हर तरफ़ रुश्दी ही रुश्दी छाये हुए हैं।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  13. किताब बैन कराने के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं, इस लेखक को कौन समझाए.

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