CARTOON, SATIRE, HUMOR, POLITICS, COMIC, LITERATURE, CARICATURE, LAMPOON, SKIT, RIDICULE, MOCKERY, SARCASTIC
और यही कसक लेखक को भी है :-)
बढ़िया ..
Pseudo-secularism shows its true satanic colors !!
Yahee to rona hai...!
नाम, काम, तमाम..क्या कीजियेगा...
अलग अलग मापदंड अलग अलग व्यक्तियों के लिए और अलग अलग लोकतंत्र.
बड़ी मुश्किल है सल्मान रुश्दी न होने से, आयाम से बाहर गई पब्लिसिटी शर्मा रही है.
:)
karara................
बढ़िया कटाक्ष
हाँ तो...मजबूरी है बेचारे की.क्या करे.:):)
कोई विवाद ना जुड़े..फिर नाम कैसा...
सलमान है तो बिजनेस है ,बिजनेस है तो प्रकाशक है ,प्रकाशक है तो ही लेखक है ना :)
नाम से ही तो रश बढ़ता है- चाहे वो सलमान हो या रुश्दी:)
ये नाम तो रखने में भी खतरा है । बेचारा खामख्वाह पिट जायेगा ।
नोवेल तेरा अच्छा है, प 'तू' रुश्दी नहीं है, बातें जो विवादित न हो छपती ही नहीं है,आये न समझ, भाये है,'कोलावरी' फिर भी,आजाये समझ हमको तो क्या बात बड़ी है !http://aatm-manthan.com
कटु सत्य Gyan Darpan..Shri Yantra Mandir
यह शैतान इससे भी बुरे का हक़दार है!
सही है बोस ...सबका ये ही तो रोना हैं
waah !!!
हा हा हा बहुत सही सभी लेखकों के दिल का हाल ब्यान करदीय आपने :-)
सलमान चाहे लेखक हो या फिर हीरो, दोनों जगह बिकता है। यह क्या मामला है?
नाम में दम हो, भले ही, दाम में कम हो!
Good satire .Rushdi is more conspicuous by his video presence at jaipur lit fest.Congratulations for this piece .
बिचारा लेखक :(
च च बेचारा।
और यही कसक लेखक को भी है :-)
जवाब देंहटाएंबढ़िया ..
जवाब देंहटाएंPseudo-secularism shows its true satanic colors !!
जवाब देंहटाएंYahee to rona hai...!
जवाब देंहटाएंनाम, काम, तमाम..
जवाब देंहटाएंक्या कीजियेगा...
अलग अलग मापदंड अलग अलग व्यक्तियों के लिए और अलग अलग लोकतंत्र.
जवाब देंहटाएंबड़ी मुश्किल है सल्मान रुश्दी न होने से, आयाम से बाहर गई पब्लिसिटी शर्मा रही है.
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंkarara................
जवाब देंहटाएंबढ़िया कटाक्ष
जवाब देंहटाएंहाँ तो...मजबूरी है बेचारे की.क्या करे.:):)
जवाब देंहटाएंकोई विवाद ना जुड़े..फिर नाम कैसा...
जवाब देंहटाएंसलमान है तो बिजनेस है ,बिजनेस है तो प्रकाशक है ,प्रकाशक है तो ही लेखक है ना :)
जवाब देंहटाएंनाम से ही तो रश बढ़ता है- चाहे वो सलमान हो या रुश्दी:)
जवाब देंहटाएंये नाम तो रखने में भी खतरा है । बेचारा खामख्वाह पिट जायेगा ।
जवाब देंहटाएंनोवेल तेरा अच्छा है, प 'तू' रुश्दी नहीं है,
जवाब देंहटाएंबातें जो विवादित न हो छपती ही नहीं है,
आये न समझ, भाये है,'कोलावरी' फिर भी,
आजाये समझ हमको तो क्या बात बड़ी है !
http://aatm-manthan.com
कटु सत्य
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
..
Shri Yantra Mandir
यह शैतान इससे भी बुरे का हक़दार है!
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंसही है बोस ...सबका ये ही तो रोना हैं
जवाब देंहटाएंwaah !!!
जवाब देंहटाएंहा हा हा बहुत सही सभी लेखकों के दिल का हाल ब्यान करदीय आपने :-)
जवाब देंहटाएंसलमान चाहे लेखक हो या फिर हीरो, दोनों जगह बिकता है। यह क्या मामला है?
जवाब देंहटाएंनाम में दम हो, भले ही, दाम में कम हो!
जवाब देंहटाएंGood satire .Rushdi is more conspicuous by his video presence at jaipur lit fest.Congratulations for this piece .
जवाब देंहटाएंबिचारा लेखक :(
जवाब देंहटाएंच च बेचारा।
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