सोच की ताज़ी बयार में गम रहते हो दोस्त ,सूचना की ऊनामी आपका क्या कर लेगी .आप तो अपने ही चिंतन के अपुश्पक पे सवार रहते हैं .बाद सटीक कार्टून .भिक्षाम देहि का अभिनव आयाम .
सोच की ताज़ी बयार में गम रहते हो दोस्त ,सूचना की सुनामी आपका क्या कर लेगी .आप तो अपने ही चिंतन के पुष्पक विमान पे सवार रहते हैं .सटीक कार्टून .भिक्षाम देहि का अभिनव आयाम .
जी विकास एक बहुत हीं काम्प्लेक्स अवधारणा है. लोग अक्सर कन्फ्यूज हो जाते हैं की आखिर विकास किसका करना है? अपना या देश का? शायद इसी उधेड़बुन में गलतियाँ कर जाते हैं और नाहक हीं घोटालों के साथ अखबार की सुर्ख़ियों में आ जाते हैं.
जटिल तो नहीं, हाँ बना दिया गया है।
जवाब देंहटाएंअच्छी दिलाई दिल्ली की याद -अभी टटकी भी है !:)
जवाब देंहटाएंसही सलाह।
जवाब देंहटाएं------
चोंच में आकाश समा लेने की जिद..
इब्ने सफी के मायाजाल से कोई नहीं बच पाया।
सोच की ताज़ी बयार में गम रहते हो दोस्त ,सूचना की ऊनामी आपका क्या कर लेगी .आप तो अपने ही चिंतन के अपुश्पक पे सवार रहते हैं .बाद सटीक कार्टून .भिक्षाम देहि का अभिनव आयाम .
जवाब देंहटाएंविकास भी एक दुधारी तलवार है। संतुलन बनाने के लिये अर्थशास्त्र के बडे स्कूल की पढाई काफ़ी नहीं है।
जवाब देंहटाएंविकास = कर्ज़दार भिखारी :)
जवाब देंहटाएंकमाल है जी.
जवाब देंहटाएंभिखारी कार में?
यही तो विकास है, धंदा नहीं छोडेंगें.
सोच की ताज़ी बयार में गम रहते हो दोस्त ,सूचना की सुनामी आपका क्या कर लेगी .आप तो अपने ही चिंतन के पुष्पक विमान पे सवार रहते हैं .सटीक कार्टून .भिक्षाम देहि का अभिनव आयाम .
जवाब देंहटाएंविकास की परिभाषाएँ बदलती जा रही हैं..
जवाब देंहटाएंबहुत सही चित्रण किया है.
हा हा हा ! सटीक चित्रण किया है आपने ! ज़बरदस्त प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंOh! Ha,ha,ha!
जवाब देंहटाएंसटीक \ शुभकामनायें\
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक है सर।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत खूब...यही तो विकास है.
जवाब देंहटाएंहां भई, लौटाना किसे है :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कार्टून प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! गरीब भिखारी --अमीर भिखारी । क्या अब ये भी आरक्षण मांगेंगे ?
जवाब देंहटाएंभिक्षुक को लोन पर कारें!
जवाब देंहटाएंअब हमारे यहां भी देसी सब प्राइम क्रांति को कोई रोक नहीं सकता! :)
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जवाब देंहटाएंहमारा विकास बिल्कुल सही दिशा में जारहा है, कार्टून सटीकतापूर्वक वस्तुस्थिति से रूबरू करवाने में सक्षम है, बहुत शुकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जी विकास एक बहुत हीं काम्प्लेक्स अवधारणा है.
जवाब देंहटाएंलोग अक्सर कन्फ्यूज हो जाते हैं की आखिर विकास किसका करना है? अपना या देश का? शायद इसी उधेड़बुन में गलतियाँ कर जाते हैं और नाहक हीं घोटालों के साथ अखबार की सुर्ख़ियों में आ जाते हैं.
:) Samyik Aur steek
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंभिकारियो के भी अपने ठाठ है
कल 29/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
वाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंज़बरदस्त .......
जवाब देंहटाएंआमरीकी रोल मोडल मौजूद है.
जवाब देंहटाएंकाफी विकास हो गया है ...
जवाब देंहटाएंहा हा हा ....... अंदर की बात क्यों बता देते हो भाई .
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