सोमवार, 17 मई 2010

कार्टून:- दु:ख भरे दिन बीते रे भइय्या..आई गइय्या


17 टिप्‍पणियां:

  1. thekedaar bavla hai....aajtak mosam vibhag ki bhavishyawani sahi nikli hai kya....baharhaal aapki kalpna sach ho lae to GARMI se nizat mil jae....SAADHUWAD..

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  2. काजल भाई आपका कहना १०० फीसदी सही है बेचारा ठेकेदार भी तो गिरमिटिया किसान ही है ...वह भी बोता है ... फसल गिट्टी तारकोल की एक ऊबड़ खाबड़ ...खुरदरे...अंतहीन लम्बे खेत में और वह भी पूरी फसल घर कहां ला पाता है ?

    ये बारिश ही तो है जो मिटिया ...गिरमिटिया दोनों तरह किसानों की आंखों में सपने जगाती है और फिर बांटती है जरुरत के हिसाब से मिटिया को ब्रेड ...गिरमिटिया को बटर !

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  3. Yahan aks hai ,vidambana hai, kitne hi peshon ki..cartoon dekh hans le chahe..par asliyat pe rona aata hai!

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  4. ठेकेदार जी को अपना बिजनेस डाइवर्सीफाई करना चाहिये। एक बच्चे को सूखा राहत वाले धन्धे में लगा कर रखें।
    तब मानसून ऑर नो मानसून; लड्डू निश्चित!

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  5. आशावादी और दूरदर्शी है... जरूर नेता होगा या साला..

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  6. ठेकेदार को ज्ञानदत्त जी के कहे पर अमल कर लेना चाहिए...सफलता सुनिश्चित :-)

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  7. तभी अच्छे मानसून की खबर से स्टॉक मार्केट ऊपर चढ़ता है. :)

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  8. क्या बात है जी, अब ठ्र्के दार ने भी तो ऎश करनी है

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