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चलिये पहली बार देख भी ली... :)
...अपने ही पैर में कुल्हाडी मार रहे थे!!!
वाह! जय हो!
very good .
वाह जी क्या बात है , बहुत खूब ।
राजनीति में अमावस और पूर्णिमा कब आ जायें पता नहीं
चलिए , जी तो बाकि है जी ।
सब वक्त वक्त की बात है...कभी गाडी नाव पर तो कभी नाव गाडी पर :-)
अजी हम ने तो सोचा था यह "डुबे" जी बन गये होंगे बहुत तारीफ़ सुनी है इन साहिब की.मजेदार जी
बहुत अच्छे ..."
आपकी कार्टून-पोस्ट बहुत बढ़िया है!मातृ-दिवस पर ममतामयी माँ को प्रणाम तथा कोटि-कोटि नमन!
हा हा हा...
बहुत सटीक और सामयिक.रामराम.
कहावत पहले ही देख ली होती तो ऐसा न होता ...
जय गुरुदेव!
अब तो बेचारे धोबी का कुत्ता भी न रहे
चलिये पहली बार देख भी ली... :)
जवाब देंहटाएं...अपने ही पैर में कुल्हाडी मार रहे थे!!!
जवाब देंहटाएंवाह! जय हो!
जवाब देंहटाएंवाह! जय हो!
जवाब देंहटाएंvery good .
जवाब देंहटाएंवाह जी क्या बात है , बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंराजनीति में अमावस और पूर्णिमा कब आ जायें पता नहीं
जवाब देंहटाएंचलिए , जी तो बाकि है जी ।
जवाब देंहटाएंसब वक्त वक्त की बात है...कभी गाडी नाव पर तो कभी नाव गाडी पर :-)
जवाब देंहटाएंअजी हम ने तो सोचा था यह "डुबे" जी बन गये होंगे बहुत तारीफ़ सुनी है इन साहिब की.
जवाब देंहटाएंमजेदार जी
बहुत अच्छे ..."
जवाब देंहटाएंआपकी कार्टून-पोस्ट बहुत बढ़िया है!
जवाब देंहटाएंमातृ-दिवस पर
ममतामयी माँ को प्रणाम तथा कोटि-कोटि नमन!
हा हा हा...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक और सामयिक.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कहावत पहले ही देख ली होती तो ऐसा न होता ...
जवाब देंहटाएंजय गुरुदेव!
जवाब देंहटाएंअब तो बेचारे धोबी का कुत्ता भी न रहे
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