रोज मंदिर क्या मँगने आते हो? यही प्रश्न जब एक पुजारी नेता जी से करता है तो नेता जी - मैं त्रिशंकु बनन चाहता हूँ। पुजारी का मुँह खुला रहा गया और प्रश्वाचक नजरों से नेताजी के तरफ देखा। नेताजी - मेरी सास मर गयी है और पत्नी जीवित है। मैं दोनों से बराबर दूरी बना कर रखना चाहता हूँ।
सादर श्यामल सुमन 09955373288 www.manoramsuman.blogspot.com shyamalsuman@gmail.com
विचारणीय है!!
जवाब देंहटाएंरोज मंदिर क्या मँगने आते हो? यही प्रश्न जब एक पुजारी नेता जी से करता है तो
जवाब देंहटाएंनेता जी - मैं त्रिशंकु बनन चाहता हूँ।
पुजारी का मुँह खुला रहा गया और प्रश्वाचक नजरों से नेताजी के तरफ देखा।
नेताजी - मेरी सास मर गयी है और पत्नी जीवित है। मैं दोनों से बराबर दूरी बना कर रखना चाहता हूँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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shyamalsuman@gmail.com
बहुत गंभीर मसला है.?
जवाब देंहटाएंनही आना चाहिये निस्वार्थ भाव से मंदिर?
सिर्फ़ कुछ मांगना ही हो तो आ सकते हो.
बहुत गहरी चोट की आज तो आपने.
रामराम.
बात तो सही कही.
जवाब देंहटाएंमंदिर जाने से पहले अब सोचना पड़ेगा।
जवाब देंहटाएंहो सकता है कि ये भाई प्रसाद के चक्कर में हर रोज मन्दिर जाते हों..:)
जवाब देंहटाएंvicharniya mudda... sochna to chahiye hi :)
जवाब देंहटाएंहे भगवान अमीरी दो और गरीबी से बचाओ!
जवाब देंहटाएंई
जवाब देंहटाएंश्वर मुझे बना दे ईश्वर
इससे अधिक न मांगू जगदीश्वर
shayad isiliye kahte hain ki bacche man ke sacche...
जवाब देंहटाएंsateek...