क्या करें इस रामदयाल को कितनी बार समझाया पर कहता है अगर कुम्हारिन के उमेठूंगा तो लट्ठ खाऊंगा इसलिये गधैया के कान उंमेठकर ही गुस्सा ठंडा कर लेता हूं..बेचारा..:)
काजल जी, पत्रकारों की वह कौम तो जरूर अब आपके पीछे पड़ जाएगी जो वास्तव में ज्ञानी है। वैसे आज पत्रकारों की कौम में गधों की कमी नहीं है, लेकिन सभी को एक ही तराजू में तौलना ठीक नहीं है। बहरहाल आपने अच्छा काटून बनाया है उसके लिए बधाई
कहावत का सुंदर उपयोग!
जवाब देंहटाएंऔर क्या करे??
जवाब देंहटाएंक्या करें इस रामदयाल को कितनी बार समझाया पर कहता है अगर कुम्हारिन के उमेठूंगा तो लट्ठ खाऊंगा इसलिये गधैया के कान उंमेठकर ही गुस्सा ठंडा कर लेता हूं..बेचारा..:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
मंत्री को तो कुम्हार बनाया मंज़ूर, मगर पत्रकार को काहे गधा बना दिया भैया।
जवाब देंहटाएं:) badhiya hai!
जवाब देंहटाएंइससे अच्छा है ब्लॉग खोल ले और वहीं अपना गुस्सा निकाल कर शांत हो जा. समझता ही नहीं है यार...
जवाब देंहटाएंकाजल जी,
जवाब देंहटाएंपत्रकारों की वह कौम तो जरूर अब आपके पीछे पड़ जाएगी जो वास्तव में ज्ञानी है। वैसे आज पत्रकारों की कौम में गधों की कमी नहीं है, लेकिन सभी को एक ही तराजू में तौलना ठीक नहीं है। बहरहाल आपने अच्छा काटून बनाया है उसके लिए बधाई
पत्रकारों की कौम को बिलकुल ठीक पहचाना है गुरु
जवाब देंहटाएंकृपया, किसी भी पत्रकार बंधू के प्रति कोई दुराग्रह न माना जाए.
जवाब देंहटाएंफिर भी, अनजाने में, यदि किसी को ठेस पहुंची हो तो उसके लिए, बिना बहस, क्षमायाचना.
बढिया।
जवाब देंहटाएंकुम्हार के पास ट्रेण्डी कमीज है। गदहा वही पुराना है। कुम्हारिन देखें तो सही कमेण्ट कर पायें!
जवाब देंहटाएंha ha ha
जवाब देंहटाएं:)
बहुत ही बढ़िया...
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आनंद बक्षी