शनिवार, 27 अप्रैल 2013

कार्टून :- ...सोने की िचड़िया चांदी के जाल


15 टिप्‍पणियां:

  1. समय तू धीरे धीरे हिल
    नींद आकर जगा न दे
    सोना आकर गिरा न दे

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  2. मित्र, सचमुच व्यंग्य-चित्र कविता से भी लघु माध्यम है विचार-अभ्व्यक्ति का !आप के कार्टून्स को देख कर आनन्द आगया और रुचि उत्पन्न हो गयी है |

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  3. सोने की चिड़िया चांदी के जाल
    उठ जाग रे नेता !
    कि जनता है बदहाल .

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  4. बेहतरीन कटाक्ष!

    सोने की चिड़िया, चाँदी के जाल का जवाब नहीं..वाह!

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