गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

कार्टून:- शुक्र मनाओ कि पट्टे पैर में डाले हैं मुन्ना...


24 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा हा हा अ हा हा ....
    मेरे गले में पट्टा नहीं देखते..!
    बहुत खूब, काजल सर. बहुत खूब!
    सटीक चित्रण.

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  2. nice...........................................................................................................................................nice.................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................nice

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  3. मेरा दर्द ना जाने कोय |
    मै तो कहती हूँ की हम आम लोगों को भी इस अमेरिकी पट्टे को अपने सांसदों और विधायको के गले में बांध देना चाहिए ताकि वोट लेने के बाद वो गायब ना हो जाये |

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  4. पट्टे की जगह बदली के हिसाब से वो कैदी तो ये पालतू '...' हुए !

    कार्टून तो अदभुत है काजल भाई पर दो रिस्क भी हैं ...

    एक तो ये कि इस बिना पर ब्लागर बंधु आपको खांटी कम्युनिस्ट ना मान लें :)

    और दूसरा ये कि आपके ख्याल को खारिज करने के ख्याल से मन्नू भैय्या को जीवन दान ना मिल जाए :)


    टिप्पणी डिस्क्लेमर : टिप्पणी में उद्धृत एक भी पट्टा देसी नहीं माना गया है !

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  5. काजल कुमार जी आपका जवाब नहीं...
    तुस्सी ग्रेट हो...

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  6. .

    एक 'सांकेतिक कहानी है "पट्टासिंह का पट्टा" उसका मुझे आपने चित्र मुहय्या करा दिया. आभार.
    लिंक है : http://raamkahaani.blogspot.com/2010/11/blog-post.html

    मैं तो उस कहानी को पूरा करना ही भूल गया था. आपके पट्टेदार कार्टून ने याद करा दिया. पुनः आभार.

    .

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  8. बहुत सटीक हुजूर तो गये काम से.:)

    रामराम.

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  9. बेचारे मुन्ना की बेचारगी ....

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  10. काजल साहेब,

    एक और पत्ता पड़ा है "मन" मोहन के गले में...
    उसकी डोर तो "मैडम" के हाथों में है..

    बहुत सुन्दर कार्टून.

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  11. सिंहनाद से आर्तनाद तक - एक चुके हुए प्रधान की आत्मकथा

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