शादी के बाद कमाने के दबाद में मर्द के तो अरमान ही मर जाते हैं, कुछ के ज़मीर भी मर जाते हों तो कोई ताज्जुब नहीं है। मुर्दा ज़मीर शख्स कुछ थोड़ा बहुत ग़लत कर भी जाए तो दूसरे मर्द को ज़ेबा नहीं कि उसे मलामत करे। मर्द के दर्द को कोई औरत न समझे तो न सही, कम से कम आप तो समझिए न ! ...और यहां मुर्दा ज़मीर एक ढूंढो तो हज़ार मिलते हैं।
ha ha ha ha ha !
जवाब देंहटाएंऔर तेज भागना पड़ेगा , इन सम्मान देने वालों से बचने के लिए .
वाह! वाह!
जवाब देंहटाएंलगता है अपनी जुगलबंदी आगे और जमेगी... :)
:)))))))))))
जवाब देंहटाएंहाहाहा.. मस्त...
जवाब देंहटाएंजय हो, वैसे भागने वाले ब्लॉगर के मन में तो लड्डू फूट रहे होंगे।
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जवाब देंहटाएंमाने इन दिनों असम्मानितों की मार्केट वैल्यू बढ़ गयी है :)
:-)
जवाब देंहटाएंho...ho...ho
bahut hi dilchasp cartoon
bhaagne waale blogger ka chehra kahin dekha hua hai :-)
हम तो रविरतलामी को अभी तक शरीफ़ समझते थे। इन्होंने कार्टूनिस्ट से हाथ मिला लिया। जय हो!
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंमाने इन दिनों असम्मानितों की मार्केट वैल्यू बढ़ गयी है :)
जवाब देंहटाएंमाने इन दिनों असम्मानितों की मार्केट वैल्यू बढ़ गयी है :)
जवाब देंहटाएं:) बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी, कोई न कोई तीर तो निशाने पर लगेगा ही।
जवाब देंहटाएंअरे भाई, बेचारे को चप्पल तो पहन लेने देते!
जवाब देंहटाएंअब तक सम्मान से वंचित (असम्मानित?) ब्लौगर की टिपण्णी!
ओ तेरे की... एक तो रवि ऊपर से काजल मिला...
जवाब देंहटाएंधमाका तो होना ही था...
रोको मत जाने दो :)
जवाब देंहटाएं:-))
जवाब देंहटाएंतेज दौड़ना भी सीखना होगा...
जवाब देंहटाएंहा हा हा ....मजेदार :)
जवाब देंहटाएंही ही :) हिंदी ब्लॉगजगत की यही बात हमें सबसे अधिक भाती है. अंत में सभी मिल जाते हैं हिंदी फिल्मों की तरह हैप्पी एंडिंग :)
जवाब देंहटाएंक्या बात है? ब्लागर सम्मेलन पर सब से अच्छी रचना है यह।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, सार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंवह वह गया , वाह वाह
जवाब देंहटाएं:):) यह भी अजीब मुसीबत है
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंशादी के बाद कमाने के दबाद में मर्द के तो अरमान ही मर जाते हैं, कुछ के ज़मीर भी मर जाते हों तो कोई ताज्जुब नहीं है। मुर्दा ज़मीर शख्स कुछ थोड़ा बहुत ग़लत कर भी जाए तो दूसरे मर्द को ज़ेबा नहीं कि उसे मलामत करे। मर्द के दर्द को कोई औरत न समझे तो न सही, कम से कम आप तो समझिए न !
...और यहां मुर्दा ज़मीर एक ढूंढो तो हज़ार मिलते हैं।
वाह मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएं...अरे इन नामुरादों को मेरा पता दिया ही किसने था ??
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपञ्च परम प्रियतम प्राण प्राध्यापक प्रधान ।
जवाब देंहटाएंभोग भोगे भोगवान भाग भाग भगवान ।।
भोगवान = शेष नाग
भगवान = भगवान विष्णु
वाआआआआआह
जवाब देंहटाएंthis is the BEST .........
:))))))))))
-:)))
जवाब देंहटाएंले भी लीजिए :))
जवाब देंहटाएंhahahahahahahaha........बेचारा ब्लोगर
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