साला बड़ा डाक्टर बना फिरता है ... एक कुत्ता का इलाज नहीं कर पाया ... ;-)
मुझ से मत जलो - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
वाह !! पीएच0 डी0 का अर्थ सही में पागल होकर दौड़ बताया जाता है जितना समय और मेहनत लगती है उतने में आदमी डाक्टर नहीं बन पाता है खुद मरीज एक हो जाता है ऎसे मैं कोई कुत्ता लेकर कैसे उसके पास चला जाता है ?
हम भी हिन्दी में पी.एच.डी. करने की सोच रहे हैं, अब क्या करें ?
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंइस पीएचडी से दूर रहकर अच्छा ही किया :)
जवाब देंहटाएंजो पी.एच.डी. नहीं कर पाए वे अब कार्टून देखकर पछतायेंगे नहीं :)
हम तो वो भी नहीं हैं ।
जवाब देंहटाएंSO NICE.BEAUTIFUL
जवाब देंहटाएंतो क्या साहित्यिकता /साहित्यकाई एक बीमारी नहीं हो सकती है ? :)
जवाब देंहटाएंश्वानेत्तर /श्वानोत्तर /श्वानीयता /श्वानोचित साहित्य वगैरह वगैरह :)
:)
हटाएं:))
हटाएंइसीलिये हम अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लगाते, कहीं कोई अपना कुत्ता लेकर दिखाने आ गया तो :)
जवाब देंहटाएं:):)
हटाएंहाहाहा.. चलिए साहित्य में नहीं कुछ और में पीएचडी करेंगे... ;)
जवाब देंहटाएंhahahah.cnfusn hi cnfusn h..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन :)
जवाब देंहटाएं---
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साला बड़ा डाक्टर बना फिरता है ... एक कुत्ता का इलाज नहीं कर पाया ... ;-)
जवाब देंहटाएंमुझ से मत जलो - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
सुंदर...
जवाब देंहटाएंएक और बेहतरीन कार्टून के लिए बधाइयाँ !
जवाब देंहटाएं:):)
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (08-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
:)
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंवाह !!
जवाब देंहटाएंपीएच0 डी0 का अर्थ सही में
पागल होकर दौड़ बताया जाता है
जितना समय और मेहनत लगती है
उतने में आदमी डाक्टर नहीं बन पाता है
खुद मरीज एक हो जाता है
ऎसे मैं कोई कुत्ता लेकर कैसे
उसके पास चला जाता है ?
ha ha ha ! bach gae !
जवाब देंहटाएंहमारे पास कुत्ता लेकर नहीं , कुत्ते काटे का जख्म लेकर ज़रूर आते हैं .
जवाब देंहटाएंचलिये हम बचे हैं।
जवाब देंहटाएंयह तो कुछ ज्यादती हो गई । बेचारे साहित्य के डाक्टर ।
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