CARTOON, SATIRE, HUMOR, POLITICS, COMIC, LITERATURE, CARICATURE, LAMPOON, SKIT, RIDICULE, MOCKERY, SARCASTIC
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बढ़िया कटाक्ष
काजल जी बड़ा कार्टूनिस्ट बनने के लिए भी ऐसी शर्त है क्या?
हर ओर नंगई बिकती है।
सही कहा जी, यह फ़िल्म वाले भी तो हमारी गरीब बेच कर आस्कर मे जाते हे, यानि अपनी मां को नंगा दिखा कर ईनाम का लालच करते हे, आप ने इस कार्टून से सहमत हे जी, बहुत सुंदर ओर एक कडबी सच्चाई. धन्यवाद
शायद यह जान कर मैं बढ़िया फोटोग्राफर बन सकूं! शुक्रिया। :)
Aah! Badahee kadva sach hai ye!
अच्छा व्यंग ..सबको यहाँ भूखे नंगे ही दिखते हैं
भूखे-नंगे तो समझे, लेकिन B/W क्यों ?
सही कहा! लगे रहो ।
सच्चा गुरु !
मानसिकता तो इन लोगों की यही है काजल भाई
पर किसी सरकारी विभाग में फोटोग्राफर जरुर बन सकते हो ;)
काजल भाई, बडी गहरी बात बताई।---------अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क। मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।
सही । आर्ट तो तभी नज़र आएगी ।
विदेश में तो यही बिकता है । शब कुछ अच्चा हो तो सनसनी नही फैलती ना । जोरदार ।
ओह सही सलाह तो दी है ....जोरदार कारटून ...बधाई ...
काजल भाई आपकी पोस्ट पर कुछ संभावनाएं...?कुछ हो या ना हो ,सफलता के लिए बंदे के पास एक नग कैमरा होना ज़रुरी है :)श्वेत श्याम रंग और भुखमरी के सेक्टर में अच्छे कैरियर की संभावनाएं छुपी हैं :) बड़ी फिलासॉफिकल पोस्ट है ,बन्दा गोरा हो या काला उसे अच्छे नाम और दाम के लिए बीपीएल सेक्टर में कैमरों का इस्तेमाल आना चाहिए :)हमने तो नीली फिल्मों से पैसे बनाते लोग देखे/ सुने थे पर...आपने काली सफ़ेद फिल्मों से पैसे के साथ यश का नया फार्मूला ... :)
:)
गरीबी हर जगह की बिकती है वह चाहे भारत की हो या सोमालिया कि -फोटोग्राफी प्रतियोगिता या फेंसी ड्रेस ...अव्वल आने का सही फोर्मूला है.
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जवाब देंहटाएंबढ़िया कटाक्ष
जवाब देंहटाएंकाजल जी बड़ा कार्टूनिस्ट बनने के लिए भी ऐसी शर्त है क्या?
जवाब देंहटाएंहर ओर नंगई बिकती है।
जवाब देंहटाएंसही कहा जी, यह फ़िल्म वाले भी तो हमारी गरीब बेच कर आस्कर मे जाते हे, यानि अपनी मां को नंगा दिखा कर ईनाम का लालच करते हे, आप ने इस कार्टून से सहमत हे जी, बहुत सुंदर ओर एक कडबी सच्चाई. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशायद यह जान कर मैं बढ़िया फोटोग्राफर बन सकूं! शुक्रिया। :)
जवाब देंहटाएंAah! Badahee kadva sach hai ye!
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग ..सबको यहाँ भूखे नंगे ही दिखते हैं
जवाब देंहटाएंभूखे-नंगे तो समझे, लेकिन B/W क्यों ?
जवाब देंहटाएंभूखे-नंगे तो समझे, लेकिन B/W क्यों ?
जवाब देंहटाएंसही कहा! लगे रहो ।
जवाब देंहटाएंसच्चा गुरु !
जवाब देंहटाएंमानसिकता तो इन लोगों की यही है काजल भाई
जवाब देंहटाएंपर किसी सरकारी विभाग में फोटोग्राफर जरुर बन सकते हो ;)
जवाब देंहटाएंकाजल भाई, बडी गहरी बात बताई।
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अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।
सही । आर्ट तो तभी नज़र आएगी ।
जवाब देंहटाएंविदेश में तो यही बिकता है । शब कुछ अच्चा हो तो सनसनी नही फैलती ना । जोरदार ।
जवाब देंहटाएंओह सही सलाह तो दी है ....जोरदार कारटून ...बधाई ...
जवाब देंहटाएंकाजल भाई आपकी पोस्ट पर कुछ संभावनाएं...?
जवाब देंहटाएंकुछ हो या ना हो ,सफलता के लिए बंदे के पास एक नग कैमरा होना ज़रुरी है :)
श्वेत श्याम रंग और भुखमरी के सेक्टर में अच्छे कैरियर की संभावनाएं छुपी हैं :)
बड़ी फिलासॉफिकल पोस्ट है ,बन्दा गोरा हो या काला उसे अच्छे नाम और दाम के लिए बीपीएल सेक्टर में कैमरों का इस्तेमाल आना चाहिए :)
हमने तो नीली फिल्मों से पैसे बनाते लोग देखे/ सुने थे पर...आपने काली सफ़ेद फिल्मों से पैसे के साथ यश का नया फार्मूला ... :)
:)
जवाब देंहटाएंगरीबी हर जगह की बिकती है वह चाहे भारत की हो या सोमालिया कि -फोटोग्राफी प्रतियोगिता या फेंसी ड्रेस ...अव्वल आने का सही फोर्मूला है.
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