हैडिंग :- "कार्टून:- ये बाबा भी ब्लागरों की बातें करता है..." .....हैडिंग के अनुरुप जो भाव "कार्टून व शब्दों" में परिलक्षित होने चाहिये थे वे नहीं हो रहे हैं ... यदि हैडिंग को हटाकर "कार्टून व शब्दों" को दस लोगों को दिखाया जाये और हैडिंग बनाने को कहा जाये तो संभव नहीं लगता कि कोई एक भी "इस हैडिंग" से मिलती-जुलती बना पाये .... काजल जी, मैं आलोचना नहीं कर रहा हूं मुझे कुछ कमी दिख रही है उसे व्यक्त कर रहा हूं, अनुरोध है इसे अन्यथा न लें!!!
कार्टून एक व्यापक शब्द है। यह कार्टून ही है। वस्तुतः व्यंग्य चित्र से अलग कार्टून स्ट्रिप्स के माध्यम से कथा कहने की विधा की श्रेणी का चित्र है यह। लेकिन इस तरह के चित्र स्ट्रिप में तो ये प्रभावी होते हैं, लेकिन एकल व्यंग्य चित्र श्रेणी में कमजोर प्रभाव छोड़ते हैं।
भाई श्याम जी और भाई समीर लाल जी ब्लागर को आभासी चरित्र मान कर कार्टून को फिर से देखिये उसमें संभावनायें बहुत हैं ज़रा गौर फरमाइये :) (१) ब्लागर आभासी चरित्र है उसे केवल महसूस कीजिये ... ना देखिये ... ना ढूंढिये ! अथवा ... (२) बाबा जी ही ब्लागर है उन्होंने लैपटाप कुटिया में रख छोड़ा है ! अथवा ... (३) ब्लागर कुटिया में है... मतलब पार्श्व से बाबा जी को प्राम्प्ट कर रहा है और बाबाजी एक्टिंग कर रहे हैं ! अथवा ... (४) बकौल काजल कविराय ...बाबा जी और ब्लागर्स की चिंतन प्रणाली तथा आलोच्य विषय एक समान हुआ करते हैं ! अथवा ... (५) मान क्यों नहीं लेते की ये ब्लागर मीट है ! अन्तर्निहित सत्य को जानों वत्स ! (६) होली से पहले काजल जी बहक गए हैं या फिर आप दोनों की चित्र सही नहीं देख पा रहे हैं या फिर केवल मैं ...जो सब कुछ सही सही देख पाने का दावा कर रहा हूँ ! वगैरह वगैरह ! ( देखिये संभावनायें और भी हैं वे बस आती ही होंगी )
जय हो! आप धन्य हैं प्रभो!
जवाब देंहटाएंहैडिंग :- "कार्टून:- ये बाबा भी ब्लागरों की बातें करता है..." .....हैडिंग के अनुरुप जो भाव "कार्टून व शब्दों" में परिलक्षित होने चाहिये थे वे नहीं हो रहे हैं ... यदि हैडिंग को हटाकर "कार्टून व शब्दों" को दस लोगों को दिखाया जाये और हैडिंग बनाने को कहा जाये तो संभव नहीं लगता कि कोई एक भी "इस हैडिंग" से मिलती-जुलती बना पाये .... काजल जी, मैं आलोचना नहीं कर रहा हूं मुझे कुछ कमी दिख रही है उसे व्यक्त कर रहा हूं, अनुरोध है इसे अन्यथा न लें!!!
जवाब देंहटाएंजय हो बाबा की..श्याम कोरी जी की बात काबिले गौर है.
जवाब देंहटाएंब्लागर की बात = सीरीयसली नहीं लेने का
जवाब देंहटाएं:)
बढ़िया मजेदार कार्टून...
जवाब देंहटाएंकार्टून एक व्यापक शब्द है। यह कार्टून ही है। वस्तुतः व्यंग्य चित्र से अलग कार्टून स्ट्रिप्स के माध्यम से कथा कहने की विधा की श्रेणी का चित्र है यह। लेकिन इस तरह के चित्र स्ट्रिप में तो ये प्रभावी होते हैं, लेकिन एकल व्यंग्य चित्र श्रेणी में कमजोर प्रभाव छोड़ते हैं।
जवाब देंहटाएंदिनेश जी की बात से सहमत.
जवाब देंहटाएंमैं तीन श्रेणियों में बांटता हूं इन्हें:-
व्यंग्यचित्र
हास्यचित्र
चित्र
(आज व्यंग्यचित्र तो क़तई नहीं है)
:-)
जय हो...,वाह...
जवाब देंहटाएंबडिया है धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंकोई सी भी श्रेणी हो हमको तो पूरा मजा आया और सबसे ज्यादा मजा इस बात मे आया कि ब्लागर की बात को सीरीयसली नहीं लेने का जानी.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
कह तो सही रहे हो जी।
जवाब देंहटाएंकार्टूनानन्द अति उत्तम अस्ति।
जवाब देंहटाएंभाई श्याम जी और भाई समीर लाल जी ब्लागर को आभासी चरित्र मान कर कार्टून को फिर से देखिये उसमें संभावनायें बहुत हैं ज़रा गौर फरमाइये :)
जवाब देंहटाएं(१) ब्लागर आभासी चरित्र है उसे केवल महसूस कीजिये ... ना देखिये ... ना ढूंढिये ! अथवा ...
(२) बाबा जी ही ब्लागर है उन्होंने लैपटाप कुटिया में रख छोड़ा है ! अथवा ...
(३) ब्लागर कुटिया में है... मतलब पार्श्व से बाबा जी को प्राम्प्ट कर रहा है और बाबाजी एक्टिंग कर रहे हैं ! अथवा ...
(४) बकौल काजल कविराय ...बाबा जी और ब्लागर्स की चिंतन प्रणाली तथा आलोच्य विषय एक समान हुआ करते हैं ! अथवा ...
(५) मान क्यों नहीं लेते की ये ब्लागर मीट है ! अन्तर्निहित सत्य को जानों वत्स !
(६) होली से पहले काजल जी बहक गए हैं या फिर आप दोनों की चित्र सही नहीं देख पा रहे हैं या फिर केवल मैं ...जो सब कुछ सही सही देख पाने का दावा कर रहा हूँ ! वगैरह वगैरह !
( देखिये संभावनायें और भी हैं वे बस आती ही होंगी )
nice........................................nice.................................nice...............................
जवाब देंहटाएंबाबा का उपदेश बढ़िया रहा!
जवाब देंहटाएंमगर इसके साथ
चित्रकार हुसैन को होना चाहिए था!
@ ali ...
जवाब देंहटाएं:-))
भोत सही कहा बाबा ने. मर जाएंगे मगर गाँधीवाद को न छोड़ेंगे.
जवाब देंहटाएंएक तो कार्टून, ऊपर से उदय जी की सही बात और सुहागा अली जी की टिप्पणी.
जवाब देंहटाएंSatya vachan Baba ji!
जवाब देंहटाएं=Comments mein विचार विमर्श रुचिकर लगा.
baabaa re baabaa
जवाब देंहटाएंAree to ye baba..... Bhadiya :)
जवाब देंहटाएंकोई सी भी श्रेणी हो हमको तो पूरा मजा आया :)
जवाब देंहटाएंयह बाबा पहले ब्लांगर ही तो था, लेकिन दुसरे ब्लांगरो के इस की टांगे खींच खींच्कर इसे बाबा बनने पर मजबुर कर दिया, ओर अब इस की टांगे टेडी हो गई है
जवाब देंहटाएंबाबाओं की ब्लॉगर मीट होगी अब तो!
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