सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

कार्टून:- पुणे से आई अमन की आशा :-)


23 टिप्‍पणियां:

  1. वे अपना काम मुस्तैदी से करते हैं तो हम अपना अधिक मुस्तैदी से क्यों न करें? अमन निश्चित रूप से आतंक फैलाने से कई सौ गुना कठिन काम है।

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  2. टिप्पणी इतनी कि दिनेश जी की बात में दम है , पर इससे आगे ये कि मैं पहले भी कह चुका हूँ कि आपके कैरेक्टर्स की बाडी लैंगुएज कमाल होती है और उसपर आपने मुहावरा (आग..) भी विजुअलाइज कर दिया ! आपकी रचनाधर्मिता के यूंहीं तो कायल नहीं हैं हम !

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  3. इस बारे में कुछ पता नहीं है...इसलिए बिना जाने पर्तिक्रिया व्यक्त करना सही नहीं होगा ...
    वैसे आपके कार्टून हमेशा बढ़िया ही होते हैं :-)

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  4. अमन फैलाना सौ गुना कठीन है तो एक चाँटा क्यों नहीं धर देते? बात यह है कि दानव को मानव नहीं बनाया जा सकता तो फिर कोशिश छोड़ो.

    सही रोष व्यक्त किया है आपने.

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  5. घटना को बहुत सटीक अभिव्यक्त किया है आपने, नमन आपकी रचनाधर्मिता को.

    रामराम.

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  6. बहुत बढ़िया सामयिक प्रस्तुति ...

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  7. करूँ क्या आस निरास भई।
    घुघूती बासूती

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  8. काजल जी
    आपका यह कार्टून पुरुस्कार के योग्य है, बहुत बहुत प्रसंशनीय !!!
    श्याम कोरी 'उदय'

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  9. द्विवेदी जी अमन फ़ैलाना कठिन काम है यह कठिन काम तो हम बरसों से कर ही रहे हैं अब कम से कम एक बार तो आसान काम करके देखें… आखिर कब तनकर सीधे खड़े होना सीखेगा यह देश…?

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  10. हम गांधी बाबा के रास्ते पर तो शुरु से चल रहे है, एक बार नेता जी सुभाष चंद्र बोस ओर भगत सिंह के रास्ते पर चल कर भी देखो

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  11. हाँ ये बम विस्फोद अमन का ही तो संकेत था ......यहाँ तो हर रोज़ अमन का सामान मिलता है .....!!

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  12. द्रव के रंग से तो लगता है कि इस बन्दे को पीलिया है। नहीं है तो हो जायेगा! :)

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