वक्त आने पर खोटा सिक्का ही काम आता है। एक बुजुर्ग ने मेरे सामने यह स्वीकार किया कि उस ने जीवन में सब से बड़ी गलती यह की कि वह अपने नालायक बेटे को नालायक कहता रहा।
काजल जी, आपकी बात सामाजिक मापदंडों के आधार पर सही ही हैं. पर कभी हम आप्रवासियों की दृष्टि से भी देखें - हमारा सबसे बड़ा क्षोभ ही हैं की चाहते हुए भी माँ-पिता जी सेवा नहीं कर पातें हैं. वैसे तो कुपूत होने के लिए विदेश आगमन ज़रूरी नहीं .
मेरा तात्पर्य केवल कटाक्ष भर है आक्षेप नहीं (कटाक्ष पर सभी खरे भी नहीं उतरते :-) और फिर मैं तो आपकी बात से असहमत भी कहां हूं क्योंकि ग़लत आप भी नहीं कह रहे हैं...मेरा मतभेद तो मात्र केवल कुछ से ही था...बहरहाल भाई इसे अन्यथा न लें, मेरा उद्देशय किसी को भी दु:ख पहुंचाना तो कभी रहा ही नहीं...मेरा विश्वास तो मुस्कानें बिखेरनें में है
बकौल मेरे profile के - "कार्टून आख़िर कार्टून है आप भी किसी कार्टून को, संपादकों की ही तरह, गंभीरता से न लें."
बेहतरीन !
जवाब देंहटाएंज़माना ही ऐसा है मित्र....
जवाब देंहटाएंअच्छे को बुरा समझा जाता है और बुरे को अच्छा
बढिया कार्टून
बड़ी करारी चोट की है जी।
जवाब देंहटाएंसचमुच आज के अभिभावकों की मानसिकता ऐसी ही है !!
जवाब देंहटाएंकितनी करारी चोट की है.
जवाब देंहटाएंहे भगवान यह तेरी माया :)
जवाब देंहटाएंएक ही पत्थर से कई चिड़ियां मार दीं -
जवाब देंहटाएंविदेश में बसने की भारतीयों की प्रवृत्ति की चिड़िया
बूढ़े लोगों की देखभाल की चिड़िया
हमारी शिक्षा प्रणाली की कमियों वाली चिड़या, जो अंग्रेजी माध्यम से होने से उसकी उपज विलायत के लिए ठीक रहते हैं, हमारे ही गांवों के लिए नहीं।
आपके बेहतरीन कार्टूनों में से एक।
शानदार । समय का चित्र ।
जवाब देंहटाएंभगवान ऐसा नालायक बेटा सब को दें!
जवाब देंहटाएंsabbo de aisa beta
जवाब देंहटाएंबोलो नालायक की जय.
जवाब देंहटाएंवक्त आने पर खोटा सिक्का ही काम आता है। एक बुजुर्ग ने मेरे सामने यह स्वीकार किया कि उस ने जीवन में सब से बड़ी गलती यह की कि वह अपने नालायक बेटे को नालायक कहता रहा।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब......!!
जवाब देंहटाएंशायद आज के जमाने का यही दस्तूर है जहाँ भले- बुरे के मायने ही बदल गये हैं।
जवाब देंहटाएंकाजल जी, आपकी बात सामाजिक मापदंडों के आधार पर सही ही हैं. पर कभी हम आप्रवासियों की दृष्टि से भी देखें - हमारा सबसे बड़ा क्षोभ ही हैं की चाहते हुए भी माँ-पिता जी सेवा नहीं कर पातें हैं. वैसे तो कुपूत होने के लिए विदेश आगमन ज़रूरी नहीं .
जवाब देंहटाएं@ प्रिय भाई Sudhir (सुधीर) जी,
जवाब देंहटाएंमेरा तात्पर्य केवल कटाक्ष भर है आक्षेप नहीं (कटाक्ष पर सभी खरे भी नहीं उतरते :-) और फिर मैं तो आपकी बात से असहमत भी कहां हूं क्योंकि ग़लत आप भी नहीं कह रहे हैं...मेरा मतभेद तो मात्र केवल कुछ से ही था...बहरहाल भाई इसे अन्यथा न लें, मेरा उद्देशय किसी को भी दु:ख पहुंचाना तो कभी रहा ही नहीं...मेरा विश्वास तो मुस्कानें बिखेरनें में है
बकौल मेरे profile के - "कार्टून आख़िर कार्टून है आप भी किसी कार्टून को, संपादकों की ही तरह, गंभीरता से न लें."
अब मुस्कुरा दीजिए.
काजल जी,
जवाब देंहटाएंहम जानते हैं आपका इरादा हरगिज भी आक्षेप का नहीं है....
अच्छा लगा कार्टून..
Bhoga hua Yathartha.
जवाब देंहटाएंKaleja Cheer kar Dhar Diya Apne to.
भगवान् सबको ऐसा नालायक बेटा दे.
जवाब देंहटाएंWaah..! Kya kah gaye...!
जवाब देंहटाएंhttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
Bahut Badhiyan cartoon hai.
जवाब देंहटाएंwatch watchindia.tv, coolest internet tv
http://www.watchindia.tv/landingpage/1008/general_ft_box_ht.aspx