गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। आज 26 जनवरी है। लोग ख़ुश हैं। ख़ुश होने की वजह भी है लेकिन जो लोग आज के दिन भी ख़ुश नहीं हैं उनके पास भी ग़मगीन होने की कुछ वजहें हैं। हमारा ख़ुश होना तब तक कोई मायने नहीं रखता जब तक कि हमारे दरम्यान ग़म के ऐसे मारे हुए मौजूद हैं जिनका ग़म हमारी मदद से दूर हो सकता है और हमारी मदद न मिलने की वजह से वह उनकी ज़िंदगी में बना हुआ है। हमारे अंदर अनुशासन की भावना बढ़े, हम ख़ुद को अनुशासन में रखें और किसी भी परिस्थिति में शासन के लिए टकराव के हालात पैदा न करें। जो लोग आए दिन धरने प्रदर्शन करते हुए शासन और प्रशासन से टकराते रहते हैं, उन्हें 26 जनवरी पर यह प्रण कर लेना चाहिए कि अब वे देश के क़ानून का सम्मान करेंगे और किसी अधिकारी से नहीं टकराएंगे बल्कि उनका सहयोग करेंगे। टकराकर देश को बर्बाद न करें। लोग अंग्रेज़ो से टकराए तो वे देश से चले गए और आज बहुत से लोग यह कहते हुए मिल जाएंगे कि देश में आज जो असुरक्षा के हालात हैं, ऐसे हालात अंग्रेज़ों के दौर में न थे। कहीं ऐसा न हो कि फिर टकाराया जाए तो देश और गड्ढे में उतर जाए। सो प्लीज़ हरेक आदमी यह भी प्रण करे कि अब हम क्रांति टाइप कोई काम नहीं करेंगे। जो राज कर रहा है, उसे राज करने दो। एक जाएगा तो दूसरा आ जाएगा। अपना भला हमें ख़ुद ही सोचना है।
सादर ,
Read entire message : प्लीज़ क्रांति न करे कोई No Revolution http://www.ahsaskiparten.blogspot.com/2012/01/no-revolution.html
क्या बात है,काजल भाई.
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
Wah! Ha ha ha!
जवाब देंहटाएंGantantr diwas kee anek shubh kamnayen!
इसका भी भला हो जाता...गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंअब इतना मनुहार है तो कर दो न भाई!:)
जवाब देंहटाएंफटेहाल लेखक किसी भी तरह अपनी किताब की पब्लिक सिटी चाहता हैं .......:)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आज 26 जनवरी है।
लोग ख़ुश हैं। ख़ुश होने की वजह भी है लेकिन जो लोग आज के दिन भी ख़ुश नहीं हैं उनके पास भी ग़मगीन होने की कुछ वजहें हैं। हमारा ख़ुश होना तब तक कोई मायने नहीं रखता जब तक कि हमारे दरम्यान ग़म के ऐसे मारे हुए मौजूद हैं जिनका ग़म हमारी मदद से दूर हो सकता है और हमारी मदद न मिलने की वजह से वह उनकी ज़िंदगी में बना हुआ है।
हमारे अंदर अनुशासन की भावना बढ़े, हम ख़ुद को अनुशासन में रखें और किसी भी परिस्थिति में शासन के लिए टकराव के हालात पैदा न करें।
जो लोग आए दिन धरने प्रदर्शन करते हुए शासन और प्रशासन से टकराते रहते हैं, उन्हें 26 जनवरी पर यह प्रण कर लेना चाहिए कि अब वे देश के क़ानून का सम्मान करेंगे और किसी अधिकारी से नहीं टकराएंगे बल्कि उनका सहयोग करेंगे।
टकराकर देश को बर्बाद न करें।
लोग अंग्रेज़ो से टकराए तो वे देश से चले गए और आज बहुत से लोग यह कहते हुए मिल जाएंगे कि देश में आज जो असुरक्षा के हालात हैं, ऐसे हालात अंग्रेज़ों के दौर में न थे।
कहीं ऐसा न हो कि फिर टकाराया जाए तो देश और गड्ढे में उतर जाए।
सो प्लीज़ हरेक आदमी यह भी प्रण करे कि अब हम क्रांति टाइप कोई काम नहीं करेंगे।
जो राज कर रहा है, उसे राज करने दो।
एक जाएगा तो दूसरा आ जाएगा।
अपना भला हमें ख़ुद ही सोचना है।
सादर ,
Read entire message :
प्लीज़ क्रांति न करे कोई No Revolution
http://www.ahsaskiparten.blogspot.com/2012/01/no-revolution.html
पुलिसिया जवाब........
जवाब देंहटाएंमाँ-'बैन' करना, अपनी तो आदत में नही है ! 'गाली' भी तो कोई तेरी 'पुस्तक'में नही है !!
सही कहा है!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें..
सार्थक कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंसही है :-)यथार्थ को आईना दिखती पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंबेचारा।
जवाब देंहटाएंतुम्हें सलमान बनाना है न रुशदि... बस हिंदुस्तानी बनाना है:)
जवाब देंहटाएंहा हा हा ..
जवाब देंहटाएंक्या बात है ..यथार्थ...
इसी बहाने कोई पढ़ डालेगा..
जवाब देंहटाएंSateek....
जवाब देंहटाएंजब बैन होती है तभी पढ़ते हैं
जवाब देंहटाएं:-) :-)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन व्यंग्य .श्रम उनको फिर भी नहीं आती .
जवाब देंहटाएंकाजल जी,
जवाब देंहटाएंक्या बात है हर तरफ़ रुश्दी ही रुश्दी छाये हुए हैं।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
शानदार पेशकश
जवाब देंहटाएंनाराजगी का सबब तो रब भी नहीं जानता :)
जवाब देंहटाएंकिताब बैन कराने के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं, इस लेखक को कौन समझाए.
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