बुधवार, 9 सितंबर 2009

कार्टून:-रे बाबा, इ सड़क मैं कबहुं ना चलि हौं

17 टिप्‍पणियां:

  1. सटीक और पैना -बोले तो चाबुक माफिक !

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  2. एक भयावह सच।
    सच में तोल कर
    कपड़े गए उतर।

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  3. झुठ बोलते हो...कच्छा बाकी है, साफ दिख रहा है... :)

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  4. जय हो आपके आईडिये की. वैसे बेंगाणी जी की नजर साफ़ बता रही है कि पार्टी अभी पूरी तरह से कंगाल नही हुई है:)

    रामराम.

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  5. हा...हा...हा...


    मज़ेदार

    एक कच्छा दो..
    दो कच्छे चार..

    छोटे-छोटे कच्छों की बन गई सलवार

    हँसते रहो

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  6. हा हा हा हा...भाई कार्टून देखकर हम तो हंसते हंसते बेहाल हो गये....अपने ऑफ़िस के सभी मित्र भी देखते ही हंसने लगे,जितना बढिया कार्टून और कमाल का सम्प्रेषण...अद्भुत है....

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  7. सही है आज कल इन टोल पलाजोम ने नाक मे दम कर रखा है

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  8. सटीक्!!
    बेहद कमाल का कार्टून्!!!!

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  9. अरे अब कच्छे पर भी नजर है, बहुत सुंदर जी, सही बात है, मै रोहतक से अमरतसर गया पता नही कितना टोल दिया, ओर सडके उतनी ही निक्कमी

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  10. बिलकुल सही, कार्टून के माध्यम से हकीकत बयान कर दी आपने.

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