सोमवार, 25 नवंबर 2013

कार्टून :- हमें तो अपनों ने लूटा, गै़रों में कहाँ दम था


6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (25-11-2013) को "उपेक्षा का दंश" (चर्चा मंचःअंक-1441) पर भी है!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. काजल जल से भीग कब, देता अश्रु भिगोय |
    चेहरे पे कालिख लगे, जाती गरिमा खोय |
    जाती गरिमा खोय, सफलता सर चढ़ बैठी |
    बने स्वयंभू ईश, चाल चल ऐंठी ऐंठी |
    करता हलका कार्य, तहलका का यह छल बल |
    महाचोर बदनाम, चुरा नैनों का काजल ||

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  3. भारत एवं भारतीय समाज की छवि को जितना चल चित्र एवं राजनीति ने विकृत कर धूमिल किया है, उतना कदाचित ही किसी ने किया हो.....

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  4. इस दीवार के कान मर गये हैं और ईंटें घमण्ड से फूल गयी हैं।

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