बहुत सुन्दर प्रस्तुति...! -- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (29-11-2013) को स्वयं को ही उपहार बना लें (चर्चा -1446) पर भी है! -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
छींके टूटे भाग्य से, टँगा यहाँ भी एक | किन्तु नहीं टूटा कभी, छींके हुई अनेक | छींके हुई अनेक, किन्तु उम्मीदें बाकी | आने दो परिणाम, पिला देना तब साकी | सड़े नहीं अंगूर, हुवे ना खट्टे फीके | होवे पहले जीत, अभी ना कोई छीके ||
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (29-11-2013) को स्वयं को ही उपहार बना लें (चर्चा -1446) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
छींके टूटे भाग्य से, टँगा यहाँ भी एक |
जवाब देंहटाएंकिन्तु नहीं टूटा कभी, छींके हुई अनेक |
छींके हुई अनेक, किन्तु उम्मीदें बाकी |
आने दो परिणाम, पिला देना तब साकी |
सड़े नहीं अंगूर, हुवे ना खट्टे फीके |
होवे पहले जीत, अभी ना कोई छीके ||
एक तो इतना बोल ही रहे है , अब इन्हे तो चुप रहने दीजिये ।
जवाब देंहटाएंकरेले को नीम क्यों चढाना?:)
जवाब देंहटाएंरामराम.