शनिवार, 16 नवंबर 2013

कार्टून:- आओ कबाड़ी, आओ.



6 टिप्‍पणियां:

  1. ना ही शिक्षक हूँ अमे, ना ही कोई चोर |
    बड़ा समीक्षक समझ ले, लाया बुक्स बटोर |
    लाया बुक्स बटोर, नए पैदा कवि लेखक |
    नई पौध का जोर, कहाँ तक चखता बक बक |
    देते पुस्तक भेज, दक्षिणा नहिं मनचाही |
    इनसे रहा वसूल, कहाँ है बोल मनाहीं -

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (17-11-2013) को "लख बधाईयाँ" (चर्चा मंचःअंक-1432) पर भी है!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    गुरू नानक जयन्ती, कार्तिक पूर्णिमा (गंगास्नान) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. वाह वाह नामवर सिंह गैंग को पूरा धौ दिया ,ऊपर से निचोड़ भी दिया। काजल कुमार के चित्र व्यंग्य नया शिखर नाप रहे हैं।

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  4. कोई बडा समीक्षक दिखता है जो बेचने लायक किताबें मिल रही हैं इसे समीक्षा के लिये?:)

    रामराम.

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