CARTOON, SATIRE, HUMOR, POLITICS, COMIC, LITERATURE, CARICATURE, LAMPOON, SKIT, RIDICULE, MOCKERY, SARCASTIC
समय तू धीरे धीरे हिलनींद आकर जगा न देसोना आकर गिरा न दे
यथार्थ चित्रण !
सच में
हा हा हा!!!
मित्र, सचमुच व्यंग्य-चित्र कविता से भी लघु माध्यम है विचार-अभ्व्यक्ति का !आप के कार्टून्स को देख कर आनन्द आगया और रुचि उत्पन्न हो गयी है |
धन्यवाद प्रसून जी. आपका स्वागत है. :)
काहे रे आये,बवाल रे बवाल।
पैर नीचे काहे नहीं रख रहे?
सुन्दर व्यंग्य ...
सोने की चिड़िया चांदी के जालउठ जाग रे नेता !कि जनता है बदहाल .
:)
सोते ही रह गये...
निर्विघ्न सोते रहें श्रीमान..
बेहतरीन कटाक्ष!सोने की चिड़िया, चाँदी के जाल का जवाब नहीं..वाह!
वाह रे :)
समय तू धीरे धीरे हिल
जवाब देंहटाएंनींद आकर जगा न दे
सोना आकर गिरा न दे
यथार्थ चित्रण !
जवाब देंहटाएंसच में
जवाब देंहटाएंहा हा हा!!!
जवाब देंहटाएंमित्र, सचमुच व्यंग्य-चित्र कविता से भी लघु माध्यम है विचार-अभ्व्यक्ति का !आप के कार्टून्स को देख कर आनन्द आगया और रुचि उत्पन्न हो गयी है |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रसून जी. आपका स्वागत है.
हटाएं:)
काहे रे आये,
जवाब देंहटाएंबवाल रे बवाल।
पैर नीचे काहे नहीं रख रहे?
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग्य ...
जवाब देंहटाएंसोने की चिड़िया चांदी के जाल
जवाब देंहटाएंउठ जाग रे नेता !
कि जनता है बदहाल .
:)
हटाएंसोते ही रह गये...
जवाब देंहटाएंनिर्विघ्न सोते रहें श्रीमान..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कटाक्ष!
जवाब देंहटाएंसोने की चिड़िया, चाँदी के जाल का जवाब नहीं..वाह!
वाह रे :)
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