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पुराने लोग कहते हैं कि अंग्रेजी व्यवस्था में इतने लम्बे नहीं खिंचते थे मुकदमे, वजह चाहे कुछ भी रही हो.
व्यवस्था से जुडा हर कोई व्यवस्था को सुधाराना ही कहां चाहता है उनके लिए यह ''शासक सुखाय शासक हिताय'' जो है.
:) यही तो दुखद है
सही जड को पकडा है.रामराम.
ये दुःख की बात है या खुशी की?
ठीक यही जवाब तो मैं भी जानने की कोशिश कर रहा हूं ...:)
आपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [22.4.2013]के एक गुज़ारिश चर्चामंच1222 पर लिंक क़ी गई है,अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है | सूचनार्थ..
MURKHON KA TANTRA
वाह
पुराने लोग कहते हैं कि अंग्रेजी व्यवस्था में इतने लम्बे नहीं खिंचते थे मुकदमे, वजह चाहे कुछ भी रही हो.
जवाब देंहटाएंव्यवस्था से जुडा हर कोई व्यवस्था को सुधाराना ही कहां चाहता है उनके लिए यह ''शासक सुखाय शासक हिताय'' जो है.
हटाएं:) यही तो दुखद है
जवाब देंहटाएंसही जड को पकडा है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ये दुःख की बात है या खुशी की?
जवाब देंहटाएंठीक यही जवाब तो मैं भी जानने की कोशिश कर रहा हूं ...:)
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [22.4.2013]के एक गुज़ारिश चर्चामंच1222 पर
जवाब देंहटाएंलिंक क़ी गई है,अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है |
सूचनार्थ..
MURKHON KA TANTRA
जवाब देंहटाएंवाह
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