रविवार, 5 अगस्त 2012

मेरी अमरीका यात्रा

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न्‍यूयॉर्क का जे.एफ.के. हवाई अड्डा एकदम साधारण सा है बल्‍कि‍ हमारे रेलवे स्‍टेशनों का सा लगता है. यह बहुत व्‍यस्‍त हवाई अड्डों में से एक है, इसके कई टर्मिनल हैं.
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न्‍यू जर्सी, न्‍यू यॉर्क का बाहरी इलाका है जहां न्‍यू यॉर्क में काम करने वाले अधि‍कतर लोग रहते हैं. यह हडसन नदी का चि‍त्र है जि‍से पार कर न्‍यू जर्सी पहुंचते हैं. इस नदी पर लोग क्रूज़ का भी आनंद उठाते हैं. न्‍यू जर्सी काफी खुला और हरा भरा क्षेत्र है.
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ईस्‍ट रि‍वर पर बना यह ब्रुकलि‍न ब्रि‍ज है. आजकल इसकी मुरम्‍मत चल रही है. बहुत बड़ी संख्‍या में अश्‍वेत आज इस पुल के दूसरी तरफ ब्रुकलि‍न में रहते हैं वरना वे पहले इस तरफ रहते थे उस इलाके को आज भी हार्लेम के नाम से जाना जाता है.
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स्‍टेच्‍यू ऑफ लि‍बर्टी देखने जाने के लि‍ए यहां से ferry मि‍लती हैं.
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यह दृश्‍य है न्‍यूयॉर्क के स्‍टॉक एक्‍सचेंज के सामने का. यहीं पीतल का बैल बना हुआ है जि‍सकी फ़ोटो खींच पाना दूभर है क्‍योंकि‍ पर्यटक उस पर लोटपोट हुए रहते हैं. मैनहट्टन न्‍यूयॉर्क का पॉश इलाक़ा है इसे यहां के अर्थतंत्र की नाड़ी भी माना जाता है. मैनहट्टन में हर ओर गगनचुंबी इमारतें दि‍खाई देती हैं.
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स्‍टेच्‍यू ऑफ़ लि‍बर्टी का इतनी दूर से लि‍या चि‍त्र आमतौर से लोग नहीं छापते, क्‍लोज़अप छापते हैं. यह मूर्ति फ़्रांस ने अमरीका को 1776 में इसकी स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ पर भेंट की थी.
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9/11 के हमले में ध्‍वस्‍त ट्वि‍न टॉवर व 5 अन्‍य इमारतों की जगह अब ये फ़्रीडम टॉवर बनाई जा रही है. दाएं, पास में ही कुत्‍तों को घुमाने के लि‍ए अलग से पार्क बना है. यहां कुत्‍तों के लि‍ए तरह तरह की व्‍यवस्‍था है. यहां जीवन काफी एकाकी है.  न्‍यूयॉर्क में बहुत से लोग कुत्‍तों के ही सहारे अपना अकेलापन दूर करते हैं.
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न्‍यूयॉर्क स्‍थ्‍ि‍त संयुक्‍त राष्‍ट्र मुख्‍यालय. व ठीक इसके सामने पुलि‍स बूथ जि‍समें एअरकंडीश्‍नर लगा हुआ है. हमारे यहां ये दि‍न आने में अभी समय लगेगा.
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रॉकफैल्‍लर प्‍लाज़ा कॉम्प्‍लेक्स के आस-पास रि‍क्‍श्‍ो भी चलते हैं. ये मोटराइज्‍ड हैं और लोग यूं ही तफ़रीह के लि‍ए इनमें सैर करते हैं. यहां शाम को लोग घूमने-फि‍रने आते हैं और खूब भीड़ रहती है.
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रॉकफेल्‍लर प्‍लाज़ा कॉम्प्‍लेक्स के बाहर लगे वि‍भि‍न्‍न देशों के ध्‍वजों में भारत का राष्‍ट्रीय ध्‍वज भी देख कर बहुत अच्‍छा लगा.
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न्‍यूयॉर्क का टाइम स्‍क्वेयर. यहां कभी रात नहीं होती. सुबह तक लोग यहां डटे रहते हैं. यहां एक बहुत बड़ा सक्रीन है जो भीड़ की फ़ोटो दि‍खाता रहता है और लोग कैमरे की तरफ हाथ हि‍ला-हि‍ला कर खूब हल्‍ला करते रहते हैं.
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टाइम स्‍क्वेयर के एक सि‍नेमा हॉल में कोई लेडी गागा आई थी जि‍सकी एक झलक पाने को लोग यूं सड़क पर भीड़ लगाए पड़े थे.
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होटल में इस तरह की माचि‍स देखने को मि‍ली. ऐसी माचि‍स मैंने पहली बार देखी. अच्‍छा लगा. अमरीका की एक सबसे अच्‍छी बात ये लगी कि‍ आमतौर से सभी भवनों व सार्वजनि‍क स्‍थानों पर धूम्रपान नि‍षि‍द्ध है चाहे वे रेस्‍टोरेंट हो या फि‍र होटल के नि‍जि‍ कमरे. धूम्रपान के लि‍ए लोग भवनों से बाहर जाते हैं जहां ऐशट्रे लगी रहती हैं.
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न्‍यूयॉर्क में एक बंग्‍लादेशी भी अपनी दुकान लगाए मि‍ला.
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न्‍यूयॉर्क में एकल परि‍वारों के इस प्रकार के मकान होते थे. ये 100-150 साल तक पुराने हैं. लंबे समय से इन्‍हें तोड़ कर बड़े बड़े गगनचुंबी भवन बनाए जा रहे हैं. यहां के पुराने मकानों में पीछे की ओर, अग्‍नि‍-बचाव के लि‍ए लोहे की सीढ़ि‍यां दि‍खती हैं.
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भीड़ भाड़ वाले इस शहर में गंदगी नहीं मि‍लती. सड़कों के हर नुक्‍कड़ पर कूड़ेदान रखे रहते हैं जो हर रोज़ खाली भी कि‍ए जाते हैं. हमें सीखना चाहि‍ए. यहां के कबूतर भारतीय कबूतरों से ही दि‍खते हैं, पर उन्‍हें यहां की तरह सामूहि‍क दाना डालने का रि‍वाज़ नहीं है.
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यहां की टूरि‍स्‍ट बसों में शौचालय भी बना रहता है.
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यहां के समाचार पत्रों की चौड़ाई कम होती है, जि‍ससे इन्‍हें खोलने में सुवि‍धा रहती है. ये अख़वार छ: कॉलम के होते हैं. हालांकि‍ यहां के टी.वी. चैनलों का हाल भी भारत से बेहतर नहीं है, वे भी एक ही स्‍टोरी को कई-कई दि‍न तक गाते रहते हैं.
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लगभग डेए़-पौने दो सौ साल पुरानी यह इमारत एक ति‍राहे पर है. शुरू-शुरू में लोग डरते थे कि‍ हवा के झोकों से यह इमारत ढह जाएगी, इसलि‍ए आंघी-तूफ़ान के समय लोग इससे दूर रहते थे.
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न्‍यूयॉर्क की चकाचौंध से दूर, इसका ये दूसरा पहलू हैं. इन इलाक़ों में आम लोग रहते हैं. यहां के मकानों में बालकनी का रि‍वाज़ नहीं है.
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नार्थ कैरोलीना राज्‍य की राजधानी 'राली'  Raleigh, वाशिंगटन डी.सी. से 4-5 घंटे की सड़क-दूरी पर है. इसका हवाईअड्डा कि‍सी समुद्री जहाज़ के डि‍ज़ाइन का आभास देता है. यह बहुत सुंदर है. तूफ़ान के कारण हमारी फ़्लाइट न्‍यूयॉर्क से 8 घंटे की देरी से यहां पहुंची. इस क्षेत्र में इस प्रकार के बवंडर आए दि‍न आते ही रहते हैं.
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राली एक शांत, हरि‍याली भरा और खुला छोटा सा सुंदर शहर है. यहां के इस होटल सूट में पूरी रसोई भी थी. शाकाहारि‍यों के लि‍ए यह एक वरदान सा लगता है क्‍यों कि‍ रेस्‍टोरेंटों में वेज पि‍ज्‍जा लंच और डि‍नर में रोज़-रोज़ नहीं ही खाया जा सकता. राली के आड़ू सबसे उम्‍दा माने जाते हैं. यहां जुलाई में 'पीच डे' भी मनाया गया.
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होटल में, 'डू नॉट डि‍स्‍टर्ब'  का अलग अवतार. और दाएं, बि‍जली का प्‍लग जि‍समें न्‍यूट्रल पि‍न नीचे की ओर है. यहां हर काम दुनि‍या से अलग करने की ज़ि‍द दि‍खाई देती है.
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बगल के शहर डरहम के ड्यूक वि‍श्‍ववि‍द्यालय का 'ड्यूक सेंटर फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट'. दाएं, नोटि‍स वोर्ड पर लगी सूचना, जि‍से नोट करने की ज़रूरत नहीं, बस नीचे बनी कांटेक्‍ट फ़ोन नंबर वाली पर्ची फाड़ कर साथ ले जाएइ.
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एक रोस्टोरेंट में खाने का ऑर्डर देने के बाद यह पेजर दि‍या गया. जब आपका ऑर्डर डि‍लीवरी के लि‍ए तैयार हो जाता है तो यह कंपन करने लगता है. आप जाकर काउंटर से आपना खाना ले सकते हैं. यहां कैचअप की बोतलें उल्‍टी रखने का रि‍वाज़ है इसीलि‍ए इनके ढक्‍कन चौडे होते हैं.
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राली में इस तरह की हरि‍याली चारों ओर है. यहां पैदल चलने वालों के लि‍ए हर जगह फुटपाथ मि‍लेंगे. सड़क पार करने के लि‍ए ज़ेब्रा क्रॉसिंग पर पैदल चलने वाले के लि‍ए गाड़ि‍यां रूक जाती हैं. हाइवे के कि‍नारे पैदल चलने की रास्‍ता नहीं होता है, वाहनों की तेज़ गति‍ के कारण वहां पैदल चला मना होता है.
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बि‍जली के खंभे को साधने वाली तारें भी प्‍लास्‍टि‍क से ढकी गई हैं.
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साउथ कैरोलीना के 'मर्टल बीच'  Myrtle Beach पर पहुंचने से पहले लगा कई कि‍लोमीटर लंबा जाम. सप्‍ताहांत में बहुत से लोग इस बीच पर इसी तरह पहुंचते हैं. रेंगने वाले ट्रैफ़ि‍क का यह जाम लगभग डेढ़ घंटे का था पर न कि‍सी ने लेन तोड़ी न कि‍सी ने हॉर्न बजाया. मेरे अलावा सभी सब्र से चलते रहे.
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'मर्टल बीच'  पर यह रि‍प्‍ली संग्राहलय है. दाएं, खुली सड़क पर पुलि‍स वाला भी स्‍कूटर पर चहल कदमी कर रहा है.
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बीच कि‍नारे लकड़ी के फट्टों का प्‍लेटफ़ार्म बनाया गया है.
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राली में गाड़ि‍यों के आगे नंबर प्‍लेट लगाने का कोई टंटा नहीं है. यहां छोटी गाड़ि‍यां रखने का रि‍वाज़ नहीं है, यहां शायद ही कोई कार 1600-1800 सी.सी. से नीचे की मि‍ले.
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राजधानी वाशिंगटन डी.सी. की मेट्रो रेल. वाशिंगटन, न्‍यू यॉर्क की अपेक्षा बहुत छोटा है, यहां की जनसंख्‍या भी कहीं कम है. यहां की मेट्रो में बहुत भीड़ नहीं होती आप आराम से यात्रा कर सकते हैं. एक बार तो इसे बंद कर देने की मुहि‍म भी चली थी पर अंतत: इसे बंद न करने का निर्णय लि‍या गया.
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अमरीका का वाशिंगटन स्‍थि‍त सेना मुख्‍यालय 'पेंटागन'.
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वाशिंगटन संग्रहालयों का शहर भी है. यहां 17 स्‍मि‍थसोनि‍यन संग्रहालय हैं. ये सभी मुफ़्त हैं. वर्ना अमरीका में कुछ भी मुफ़्त नहीं मि‍लता, चाहे वह होटल में पीने का पानी ही क्‍यों न हो. (वैसे आप नल का पानी कहीं भी पी  सकते हैं, यह बोतल के पानी से बेहतर होता है.)  ये संग्रहालय साल में केवल एक बार, क्रि‍समस के दि‍न बंद होते हैं. 18वां स्‍मि‍थसोनि‍यन संग्रहालय बन रहा है. यह अफ़्रीकी-अमरीकि‍यों को समर्पित होगा. 17वां स्‍मि‍थसोनि‍यन संग्रहालय अमरीका के मूल-नि‍वासी रेड-इंडि‍यन्‍स को समर्पित कि‍या गया है (ऊपर दाएं). इसके उद्घाटन के समय, दूर-दूर से ये मूल नि‍वासी एक भव्‍य व वि‍शाल परेड के रूप में सम्‍मि‍लि‍त हुए थे. स्‍मि‍थसोनि‍यन संग्रहालय एक ब्रि‍टि‍श धनाड्य जेम्‍स स्‍मि‍थसन के दान की बदौलत हैं.
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वाशिंगटन घूमते पर्यटक.
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वाशिंगटन के स्‍पेस म्‍यूज़ि्यम में रखा चंद्रयान 'अपोला-11'. दाएं, हवा के गुब्‍बारों से यात्रा के दौरान प्रयुक्‍त होने वाले साज़ो सामान में एक स्‍टोव भी होता था. यह स्‍टोव भारत में आज भी प्रयोग होता है.
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वाशिंगटन के मोम के पुतलों वाले प्रसि‍द्ध 'टुसॉड संग्रहालय' में हि‍न्‍दी लि‍खी देख कर बहुत अच्‍छा लगा.
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वहां का संसद भवन 'कैपि‍टल हि‍ल'
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राष्‍ट्रपति‍ नि‍वास 'व्‍हाइट हाउस' के सामने, सड़क के दूसरी ओर डेरा डाले एक प्रदर्शनकारी परि‍वार.
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वाशिंगटन का मेट्रो स्‍टेशन 'यूनि‍यन स्‍टेशन'. यह दि‍ल्‍ली के राजीव चौक की तरह है. यहां, पहली बेसमेंट में भारतीय खाने का एक झटपट रेस्‍टोरेंट 'अदि‍ति‍ इंडि‍यन कि‍चन' है जि‍से एक पंजाबी सज्‍जन चलाते हैं. वहां के स्‍थानीय लोगों को भारतीय खाने का अच्‍छा चस्‍का है, यहां जाकर यही दि‍खाई दि‍या.
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अमरीका के एक और राज्‍य मेरीलैंड की राजधानी 'अनॉप्लि‍स'  Annapolis. इसे आज भी पहले की ही तरह सहेज कर रखा गया है. ईंटों की सड़क और पुराने ज़माने की ट्रॉम बस देखि‍ए, इसे ट्रॉली कहते हैं. यह एकदम शांत और छोटा सा  सुंदर सपनों का शहर है. सड़क के अंत में, बस के पीछे की तरफ खुला समुद्र है.
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यह मेरीलैंड की वि‍धानसभा का अंदरूनी भाग है. लाल रस्‍से से घि‍रा वह ऐति‍हासि‍क स्‍थान है जहां गृह युद्ध की समाप्‍ति‍ के बाद जॉर्ज वाशिंगटन ने सेना की कमान लोकतांत्रि‍क प्रशासन को सौंपी थी.
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बाएं, स्‍वभुगतान करें व समाचार पत्र ले जाएं. दाएं. अनॉप्‍लि‍स में नौसेना अकादमी के सामने फैला समुद्र.
                                   000000                                 -काजल कुमार

33 टिप्‍पणियां:

  1. आपके बहाने थोड़ा-बहुत अमरीका मन्ने भी घूम लिया !

    ....बेहद रोमांचक रही आपकी यात्रा !

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  2. आधा देख लिए आधा फिर देखेगें -अब इतना समय तो हमें भी लगेगा न जल्दीबाजी ठीक नहीं ..... :-)

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  3. बाप रे, एक ही यात्रा और पोस्ट में कितना कुछ दिखा दिया।

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  4. एक ही पोस्ट में दस पोस्ट की सामग्री डाल दी .
    हमें फालतू समझा है क्या ! :)

    अभी आराम से बैठकर करेंगे अमेरिका की यात्रा आपके साथ .

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  5. पूरा अमेरिका ही घुमा दिया मगर ये नहीं बताया कि फोटू खींचने उतनी दूर काहे गये!:) वैसे दमदार पोस्ट है, चित्र देखकर अच्छा लगा। सुरक्षित करना पड़ेगा।..आभार।

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  6. great post
    did the match box had the name of the hotel printed
    most of the time it has and such matchbox are very useful for keeping them in pocket and showing them to anyone if one is lost anywhere

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  7. बल्ले बल्ले पोस्ट ही जी|

    बंगलादेशी आज कहाँ नहीं हैं? लेकिन बाकी जगह शायद कुछ उत्पात करते नहीं होंगे, बाकियों ने थोड़े ही गुलामी से निजात दिलाई थी इन्हें|

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    1. आपकी टिप्पणी लाइक करने का मन किया पर अफसोस ब्लॉगर में विकल्प नहीं है।

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  8. सुंदर वृत्तान्त ! मजा आ गया !

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  9. इतने सारे फोटो देखकर हमारी भी यात्रा हो गयी...
    बहुत बढ़िया,,,
    :-)
    मित्रता दिवस की शुभकामनाये :-)

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  10. वाह... आपने हमें भी घुमा दिया... मज़ा आ गया....

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  11. फोटो के जरिये अमेरिकी यात्रा अच्छा लगा , कैमरे को जुम कर लेते तो और नजदीक से देख लेते |

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  12. सारे फ़ोटू देखने में बहुत समय लग गया, ऐसी माचिस यहाँ जेद्दाह मैरियट में भी देखने को मिली, बस उस पर होटल का नाम नहीं है, हमें तो यहाँ का होलिडे इन बिल्कुल घटिया लगा, पसंद नहीं आया, यहाँ तक कि चूहे भी देखे जा रहे थे।

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    1. आप जानते ही हैं कि‍ ये सभी होटल फ्रेंचाइज़ी चलाते हैं. कुछ फ्रेंचाइज़ी लोग, नाम की रॉयल्‍टी देने के बाद भी निर्धारि‍त मानकों का उलंघन कर चूहे पाल लेते हैं :)

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  13. आज सारे फोटो देखे . मज़ा आ गया पूरा अमेरिका घूमकर . कई नई बातें भी पता चली . तुस्सौड़ म्यूजियम वाशिंगटन में है या वहां भी है ?
    अंत में फिर वही सवाल -- आप बताते क्यों नहीं -- अमेरिका क्यों और कैसे गए थे ? :)

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  14. आपका कमेंट देख कर पता चला कि 'ब्‍लॉगर' फिर कमेंट स्‍पैम में भेज रहा है. कुल 3 कमेंट आज़ाद करवाए अभी. अजीब अहमक़ है ये भी :(


    ये तुस्सौड़ म्यूजियम वाशिंगटन डी.सी. वाला है.

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  15. बढ़िया. ये हवा के झोकों से ढहने वाली ईमारत के ठीक बाजू में हमारा ऑफिस है. हमें आंधी तूफ़ान में अभी भी डर लगता है. :)

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  16. पूरा एलबम हो गया, अच्‍छा रहा यह सफर.

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  17. अब हम भी शान से कहेगे ...अमेरिका घूमकर आये है .....कभी दोबारा जाने का हो तो बतय्यो ..हम भी साथ चलेगे ...हा हा हा

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  18. वाह! यह तो बड़ा ही सुन्दर और संक्षित मगर सम्पूर्ण जानकारी लिए यात्रा वर्णन है.बहुत ही अच्छी जानकारियां मिली.

    मेरे ख्याल से दुनिया में सब से ज्यादा एकाकी लोग और पालतू कुत्ते वहीँ होंगे .अरब देशों में तो खैर कुत्ते दिखते भी नहीं है..दिखें तो पकड या मार दिए जाते हैं .

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  19. बहुत बढ़िया, बैठे-बैठे अमेरिका घुमा दिये आप। सुन्दर चित्र और वर्णन।

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  20. पूरा अमेरिका भ्रमण करवा दिया आपने...
    वो बिजली वाला प्लग कहीं ऐसा तो नहीं कि मिस्त्री ने ही ही उलटा लगा दिया हो ;)

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  21. फोटो सहित पूरी रिपोर्टिंग पढ़ने के बाद ...मन में इच्छा हों रही हैं अमरीका देखने की ......बहुत खूबसूरत चित्र सहित लेख

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