पूरी सहानुभूति ममता जी के साथ ..मुझे बहुत खराब लगा रहा है ममता जी का इस तरह हार जाना ! मुझे तो जनाब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति के उम्मेदवार के रूप में भी कभी सही नहीं लगे. उनकी की खाली की गयी कुर्सी किसे मिलेगी??मुलायम सिंह को??
वे एक क्षेत्र से बाहर का नहीं सोचतीं , रेल्वे में सारे देश के हक़ छीन कर उन्होंने अपने क्षेत्र को सौंप दिये , केवल इसलिए कि स्थानीय क्षत्रप बन सकें ! मामला अभी भी राष्ट्रपति पद का नहीं था सारे देश के रिसोर्सेस , सारे देश को भाड़ में झोंक कर , अपने क्षेत्र में ठेलने की ब्लेकमेलिंग मात्र थी ! दूसरे नेता भी ऐसा करते हैं पर इतनी बेदर्दी और बेशर्मी से नहीं !
वे घनघोर अविश्वसनीय हैं ! ना तो कांग्रेस की हुईं ना एन.डी.ए. की और ना ही यू.पी.ए.की ! अपने रेल्वे मिनिस्टर को किस बात की सजा दी थी उन्होंने , सिर्फ इसलिए कि वह पूरे देश की सोचने लगा था फेयर होने की कोशिश कर रहा था :)
क्या कीजिएगा राजनीति के इन मदारी मदारिनों का ,एक तो सारे देश को नचाये हैं .इत्ते सारे राष्ट्र पति कवर नहीं कर सकता कोई एक फाइनल नेम बताइये .ई लोकतंत्र वा है भैया इहाँ इत्ते ही नाम हुइबे करे .दोनों प्रस्तुति बढ़िया काजल भाई .
क्या कीजिएगा राजनीति के इन मदारी मदारिनों का ,एक तो सारे देश को नचाये हैं .इत्ते सारे राष्ट्र पति कवर नहीं कर सकता कोई एक फाइनल नेम बताइये .ई लोकतंत्र वा है भैया इहाँ इत्ते ही नाम हुइबे करे .दोनों प्रस्तुति बढ़िया काजल भाई .
आज भी निर्ममता से अपनी जिद पे कायम हैं ममता .इस हाथ दे उस हाथ ले .बार -टर सिस्टम में यकीन करतीं हैं निर्मम हो कर ममता जी .वो क्या है कि सावन के अंधे को हरा ही हरा (आर्थिक पैकेज )ही नजर आता है .एक बात और केंद्र के झमुरे को नचाने वाली इस दौर में एक से ज्यादा नेत्रियाँ हो गईं हैं .
उम्दा व्यंग्य चित्र, एक पूर्णिमा को महाकाव्य रचा गया रामगढ में, मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से।
जवाब देंहटाएंपूरी सहानुभूति ममता जी के साथ ..मुझे बहुत खराब लगा रहा है ममता जी का इस तरह हार जाना !
जवाब देंहटाएंमुझे तो जनाब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति के उम्मेदवार के रूप में भी कभी सही नहीं लगे. उनकी की खाली की गयी कुर्सी किसे मिलेगी??मुलायम सिंह को??
वाह...बहुत खूब..!
जवाब देंहटाएंचलिए पी एम न सही , राष्ट्रपति ही सही --कुछ तो मिला .
जवाब देंहटाएंkalam ji hi thik hain... :)
जवाब देंहटाएंमुलायम मुलायम पड़ गए , ममता क्या करतीं ? :):) बढ़िया व्यंग
जवाब देंहटाएंयहाँ जब भी आओ ..एक विज्ञापन कार्टून के आगे आकर खड़ा हो जाता है ....उसे ध्यान में रखकर,आज का कार्टून देखकर एक शब्द और याद आ गया---"मरबो"
जवाब देंहटाएंवे एक क्षेत्र से बाहर का नहीं सोचतीं , रेल्वे में सारे देश के हक़ छीन कर उन्होंने अपने क्षेत्र को सौंप दिये , केवल इसलिए कि स्थानीय क्षत्रप बन सकें ! मामला अभी भी राष्ट्रपति पद का नहीं था सारे देश के रिसोर्सेस , सारे देश को भाड़ में झोंक कर , अपने क्षेत्र में ठेलने की ब्लेकमेलिंग मात्र थी ! दूसरे नेता भी ऐसा करते हैं पर इतनी बेदर्दी और बेशर्मी से नहीं !
जवाब देंहटाएंवे घनघोर अविश्वसनीय हैं ! ना तो कांग्रेस की हुईं ना एन.डी.ए. की और ना ही यू.पी.ए.की ! अपने रेल्वे मिनिस्टर को किस बात की सजा दी थी उन्होंने , सिर्फ इसलिए कि वह पूरे देश की सोचने लगा था फेयर होने की कोशिश कर रहा था :)
बढ़िया कार्टून काजल भाई ! बे आवाज लाठी जैसा :)
जवाब देंहटाएंक्या कीजिएगा राजनीति के इन मदारी मदारिनों का ,एक तो सारे देश को नचाये हैं .इत्ते सारे राष्ट्र पति कवर नहीं कर सकता कोई एक फाइनल नेम बताइये .ई लोकतंत्र वा है भैया इहाँ इत्ते ही नाम हुइबे करे .दोनों प्रस्तुति बढ़िया काजल भाई .
जवाब देंहटाएंऔर फिर राष्ट्र पति के बीच अधर में ही बदले जाने का भी ख़तरा नहीं रहता है .प्रणब मुखर्जी की निष्ठाओं का यह आजीवन इनाम है .
जवाब देंहटाएंक्या कीजिएगा राजनीति के इन मदारी मदारिनों का ,एक तो सारे देश को नचाये हैं .इत्ते सारे राष्ट्र पति कवर नहीं कर सकता कोई एक फाइनल नेम बताइये .ई लोकतंत्र वा है भैया इहाँ इत्ते ही नाम हुइबे करे .दोनों प्रस्तुति बढ़िया काजल भाई .
जवाब देंहटाएंममता मुलायम के अवसरवाद को समझने में चुक गई |
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा
जवाब देंहटाएंमुझे लग रहा था कि ममता पटकी लगाएँगी लेकिन मुलायम पटकी लगा गए. बढ़िया कार्टून.
जवाब देंहटाएं:))))
जवाब देंहटाएंबिलकुल ठीक है. कभी कभी ऐसा भी हो जाता है.
जवाब देंहटाएंममता जी को गठबंधन धरम का पालन करना चाहिए,,,,,
जवाब देंहटाएंसमर्थक बन गया हूँ आप भी बने तो मुझे खुशी होगी,,,,,,
RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
आज भी निर्ममता से अपनी जिद पे कायम हैं ममता .इस हाथ दे उस हाथ ले .बार -टर सिस्टम में यकीन करतीं हैं निर्मम हो कर ममता जी .वो क्या है कि सावन के अंधे को हरा ही हरा (आर्थिक पैकेज )ही नजर आता है .एक बात और केंद्र के झमुरे को नचाने वाली इस दौर में एक से ज्यादा नेत्रियाँ हो गईं हैं .
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत खूब..शानदार...
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंकल 20/06/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
बहुत मुश्किल सा दौर है ये
राजनीतिक उठा-पटक ज़ारी है ...
जवाब देंहटाएंदुखती रग पर काहे हाथ लगाते हैं आप? :)
जवाब देंहटाएंरामराम.